टुक-टुक टटोल  कला फिल्म

टुक-टुक टटोल कला फिल्म

तीन बाल-फिल्मों में देवयानी का उम्दा काम था। वह सोलह वर्ष की होते हुए भी दिखती चौदह साल की थी, इस बात से जर्मन फिल्म प्रमोशन प्राइवेट के प्रोड्यूसर-डाइरेक्टर हान्स फ्रिट्ज़ देवयानी से बहुत खुश थे। इसके विशेष जर्मन संस्करण के लिए जिस अदा से वह नग्न पुरुष-लंड पर बैठी, उससे उसकी तुलना अमाई लिउ और लिटल ल्यूप से की जाने लगी। ” बेबी बटरफ्लाई ” ( बाल कला-तितली ) का वयस्क प्राइवेट संस्करण और उम्दा था: उसमें कुछ दृश्य पुरुष-लंड को मुंह में ले चूँसने के थे जिसे देवयानी ने कलात्मक तरीके से कर दिखाया। देवयानी ने आग्रह किया कि उसकी बाल-सखी ” रिया ” को भी ऐसी अच्छी बाल-कला फिल्मों में काम मिल जाए। रिया बारह बरस की होते हुए भी अपनी कोमल कद-काठी के कारण नौ वर्ष की दिखती, और वह भी ( देवयानी के समझाने के कारण ) पुरुष-लंड पर टिक के बैठना सीख गई थी।

इन कला-फिल्मों में काम करने के लिए जब भी कोई नई बाल-कलाकार आती या लाई जाती उसे सेठ चिम्मनभाई भगूभाई शाह और हान्स फ्रिट्ज़ की जांघों के बीच बैठना होता, फिर दोनों उसका मुआयना लेते। यह फिल्म- लाइन की तहजीब थी। ” टुक-टुक टटोल ” एक गहरी व भद्र बाल-कला फिल्म बनाई जा रही थी। उसमें नौ हमउम्र अर्थात नौ से ग्यारह साल की बालिकाओं की उछल-कूद के अच्छे दृश्य रखे गए थे। लेकिन बाद में उम्र को लेकर कुछ परिवतन करने पड़े। अरब और अफ्रीका के कुछ फिल्म प्रोड्यूसर इसमें कुछ बदलाव चाहते थे। दरअसल इन अच्छी बाल-कला फिल्मों के वयस्क संस्करण इन देशों में वितरित किए जाने थे इसलिए इनकी बात माननी पड़ी।

नौ हमउम्र कन्याओं की गिनती के बाद उनके अंग ( गुप्तांग ) परखे गए. इन सबको चिम्मन भाई व हान्स फ्रिट्ज की जांघों के बीच बैठना था. लेकिन इनके गुप्तांगों का मुआयना करने का काम मुझे सौंपा. मैं ५७ वर्ष का कामुक प्रौढ़ था और ऐसी बाल कला नंगी फिल्मों में रूचि रखता था. मैंने मुख्यतः बालिकाओं के मम्मे मुंह में भरे, और साथ ही उनकी नन्ही चूत व गांड में अंगुली मारी.

असल काम देवयानी और रिया को करना था. जो दृश्य फिल्माए उनमें इन दोनों ने आपस में धींगामस्ती की, एक दूसरे की कपडे फाड़े, और फिर नंगी हो कर एक दूसरे पर चढ़ गईं, जैसे कुश्ती लड़ी हो. फिर देवयानी की नब्गी गांड पर रिया चढ़ी, और रिया की गांड पर बिलूकी. बिलूली ११ वर्ष की रही होगी. इसके बाद सात मर्दों ने इनका ” माल ” टटोला. तीनों बालिकाएं ” आह, ऊह, है, ” कह कर मीठी सिसकारी भर रही थीं.

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *