मेरा नाम रितेश है। मैं बिहार के भोजपुर का रहने वाला हूँ। अभी मैं दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ। मैं 5 फीट 8 इंच लंबा हूँ, शरीर औसत है, और मेरा लंड… खैर, मैंने कभी नापा नहीं, तो झूठ क्या बोलूँ? ये सेक्सी कहानी मेरी और मेरी ममेरी भाभी की है, जिसका नाम सविता है।
भाभी उस समय 23 साल की थीं। उनका फिगर 32-28-34 का है, ये मैंने उनसे ही पूछा था। वो दिखने में इतनी कामुक हैं कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उनकी पहली मुलाकात मुझसे उनकी शादी पर हुई थी। मैं तब जवान हो रहा था, उम्र 18 की थी। शादी के बाद मैं भाभी से उनकी सुहागरात को लेकर खूब मज़ाक करता था। कहता था, “भाभी, मैंने तो रात को सारा खेल देख लिया!” वो शर्मा जाती थीं, और सबके सामने कुछ बोल नहीं पाती थीं।
एक गर्मी का दिन था। मैं दोपहर को भाभी के कमरे में सो रहा था। अचानक नींद खुली तो देखा भाभी पलंग पर बैठी हैं। मैंने फिर मज़ाक में कह दिया, “भाभी, हमारे लिए भी कुछ बचाया है, या सब भैया को दे दिया?”
वो शरमाते हुए बोलीं, “क्या चाहिए आपको?” मैंने उनकी चुचियों की तरफ इशारा कर दिया।
वो बोलीं, “एक शर्त पर… पहले बताओ उस रात तुमने क्या देखा?”
मैंने हँसते हुए कहा, “कुछ नहीं भाभी, मैं तो बस मज़ाक कर रहा था।”
पर वो नहीं मानीं। वो मेरे पास आईं और छेड़छाड़ शुरू कर दी। अचानक उन्होंने मेरी पैंट खींच दी, और मेरा लंड बाहर आ गया। उसे देखकर वो बोलीं, “अभी तो तुम्हारा हथियार छोटा है, पर चलेगा।”
मैंने भी मौका देखकर उनकी चुची दबा दी। वो चिहुंक पड़ीं। तभी किसी के आने की आहट हुई, और हम दोनों शांत हो गए। मैं उनके घर दो दिन और रुका, पर कोई मौका नहीं मिला। मैं उस दिन जब घर वापस जा रहा था, तो भाभी से बोला, “भाभी, मेरा उधार रहा। अगली बार जरूर लूँगा।” वो बस हंस दीं।
मैं अपने घर वापस आ गया। कुछ दिन तो भाभी को याद करके अपने लंड को हाथ से ठंडा करता रहा। फिर धीरे-धीरे पढ़ाई में व्यस्त हो गया। तीन साल बाद, जब सर्दी की छुट्टियों में घर गया, तो माँ ने कहा, “रितेश, मामा जी के घर हो आ। तेरी भाभी तुझे याद करती रहती हैं। उनकी एक बेटी भी हुई है, उसे भी देख आ।”
भाभी का नाम सुनते ही मेरा मन उछल पड़ा। अगले दिन सुबह मैं उनके घर पहुँच गया। वहाँ सिर्फ मामा जी और भाभी थे। भैया जॉब पर गए थे, और मामी जी अपने मायके। मामा जी बोले कि वो शाम को मामी को लाने जाएंगे। मैंने हाथ-मुँह धोया, खाना खाया, और सो गया।
शाम को नींद खुली तो देखा भाभी आँगन में बैठकर बच्ची को दूध पिला रही थीं। उनकी चुचियाँ अब पहले से भी बड़ी और भरी हुई लग रही थीं। मैं उनके पास बैठ गया और बच्ची को दुलारने के बहाने उनकी चुचियों को छूने लगा। वो समझ गईं और बोलीं, “तुम अभी भी नहीं सुधरे।”
मैंने हँसकर कहा, “भाभी, आपकी चुचियाँ ही मुझे बिगाड़ रही हैं।”
वो हँस पड़ीं और बच्ची को मुझे थमाकर बोलीं, “इसे घुमा लाओ, मैं खाना बनाती हूँ।” मैं बच्ची को लेकर गाँव में घूमने निकल गया। जब लौटा, तो मामा जी जा चुके थे। भाभी ने कहा, “चलो, खाना खा लो।” हमने साथ में खाना खाया। फिर मैंने पूछा, “भाभी, मैं कहाँ सोऊँ?”
वो बोलीं, “घर पर कोई है नहीं, मेरे कमरे में ही सो जाओ।”
मेरा मन तो खुशी से नाच उठा। मैं बच्ची को लेकर कमरे में गया और उसे सुला दिया। थोड़ी देर बाद भाभी एक सफेद गाउन में कमरे में आईं। वो इतनी सुंदर लग रही थीं कि मैं बस देखता रह गया। मैंने कहा, “भाभी, आप तो जबरदस्त माल लग रही हो।”
वो बोलीं, “बड़ी मस्ती चढ़ रही है तुम्हें!”
मैंने कहा, “आपका हुस्न ही ऐसा है। बस एक बार मिल जाए, तो जन्नत नसीब हो जाए।”
वो ‘चुप बदमाश’ कहकर पलंग पर लेट गईं। हम इधर-उधर की बातें करने लगे। भाभी ने पूछा, “तुम्हारी गर्लफ्रेंड है?”
मैंने कहा, “हाँ है।”
“कहाँ है?” उन्होंने पूछा।
मैंने उनकी तरफ इशारा किया। वो मुस्कराकर बोलीं, “मैं तुम्हारी भाभी हूँ।”
मैंने कहा, “आपको पटा कर गर्लफ्रेंड बना लूँगा।”
फिर मैंने मौका देखकर कहा, “भाभी, आप इतनी कमाल की दिखती हो। काश आपकी शादी मुझसे हुई होती, तो मैं आपको बहुत प्यार देता। अभी भी दे सकता हूँ।”
वो बोलीं, “तुम्हें मुझमें सबसे ज़्यादा क्या अच्छा लगता है?”
मैंने उनके होंठों पर उंगली रखकर कहा, “एक बार इनका रस पिला दो।”
वो बोलीं, “बस एक बार… इसके बाद कुछ नहीं!”
मैं मान गया। उन्होंने बच्ची को साइड में किया और मेरे पास आईं। मैं अब और इंतज़ kalkar नहीं कर सकता था। मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया और चूसने लगा। उनके होंठ रसीले, मुलायम, और गर्म थे। वो एक मिनट में ही छटपटाने लगीं। मैंने उन्हें छोड़ा, तो वो लंबी साँस लेकर बोलीं, “पागल हो क्या? कोई ऐसे करता है? मैं तो मर ही जाती… साँस रोक दी तुमने!”
मैंने कहा, “अच्छा, भैया के साथ नहीं मरती हो?”
वो बोलीं, “भैया तो बस लंड डालते हैं, धक्के मारते हैं, पानी निकालते हैं, और सो जाते हैं।”
मैंने कहा, “चलो, इस बार मैं अच्छे से करूँगा।”
वो मान गईं। मैंने धीरे-धीरे उनके गालों को चूमना शुरू किया। उनके गालों से होंठों तक गया, और उनके निचले होंठ को चूसने लगा। पीछे से मेरे हाथ उनकी कमर को सहलाने लगे। भाभी धीरे-धीरे गर्म होने लगीं। उनकी साँसें तेज हो रही थीं। मैं उनके होंठ चूसते हुए अपने हाथ उनकी चुचियों पर ले गया। पहले तो वो मना करने लगीं, लेकिन फिर चुप हो गईं। मैं उनकी चुचियों को गाउन के ऊपर से सहलाने लगा।
मैं धीरे-धीरे उनके ऊपर चढ़ गया, और अपने शरीर को उनके मदमस्त जिस्म से रगड़ने लगा। अब भाभी भी मेरा साथ देने लगीं। वो कामुक सिसकारियाँ लेने लगीं, “उम्म… अहह… हाय…” उनकी आवाज़ मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थी।
मैंने कहा, “भाभी, गाउन उतार दो।”
वो मना करने लगीं, लेकिन मेरे ज़ोर देने पर गाउन उतार दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ काली ब्रा और पेंटी में थीं। उनका गोरा जिस्म, काली ब्रा-पेंटी में ऐसा लग रहा था जैसे कोई अप्सरा हो। उनकी चुचियाँ ब्रा को फाड़कर बाहर आने को बेताब थीं। मैंने उनकी फिगर पूछी, तो बोलीं, “दिख नहीं रहा? नाप लो ना… वैसे 32-28-34 है।”
मैं ब्रा के ऊपर से उनकी चुचियों को निचोड़ने लगा, जोर-जोर से मसलने लगा। वो आहें भरते हुए बोलीं, “आराम से… मैं कहीं भाग नहीं रही।” मैंने उनकी ब्रा को खींचा, तो हुक टूट गया। मैंने ब्रा फेंक दी और उनकी चुचियों को चूसने लगा। उनका दूध मेरे मुँह में आने लगा, लेकिन स्वाद अच्छा नहीं लगा, तो मैंने उनके निप्पल मसलने शुरू कर दिए।
मेरे हाथ धीरे-धीरे उनकी पेंटी के ऊपर से उनकी चूत तक पहुँच गए। मैं उनकी चूत को सहलाने लगा। वो सिहर उठीं और तेज सिसकारियाँ लेने लगीं, “आहह… उफ्फ…” मैं उनके पेट को चूमते हुए उनकी नाभि तक पहुँचा। उनकी नाभि को चूसने लगा, तो वो और जोर से सिसकने लगीं। वो मेरे सिर को अपनी नाभि पर दबाने लगीं।
फिर मैंने उनकी पेंटी के ऊपर से उनकी चूत पर किस किया। वो पलंग पर उछल पड़ीं और बोलीं, “नहीं… वहाँ नहीं!” मैंने कहा, “शांत रहो भाभी, बहुत मज़ा आएगा।”
वो बोलीं, “मैंने पहले कभी ऐसा नहीं किया।”
मैंने कहा, “तो आज मज़ा ले लो।”
मैं उनकी पेंटी उतारने लगा। वो बोलीं, “पहले तुम अपने कपड़े उतारो।”
मैंने कहा, “वो तुम उतार दो।”
उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मेरा तना हुआ लंड देखकर बोलीं, “वाह, तुम्हारा हथियार तो अब काफ़ी बड़ा हो गया है।”
मैंने हँसकर कहा, “ये सब हमारी वासना की इन्सेस्ट कहानी का असर है।”
वो बोलीं, “क्या मतलब?”
मैंने कहा, “बाद में बताऊँगा, अभी मेरे लंड से खेलो।”
वो मेरे लंड को ऊपर-नीचे करने लगीं। मैं पूरे जोश में आ गया और बोला, “भाभी, लंड चूसो ना।” वो मना करने लगीं। मैंने ज़ोर नहीं दिया और उन्हें बिस्तर पर लिटाकर उनकी चूत चाटने लगा। उनकी चूत गीली थी, और उसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था। वो तेज आवाज़ निकालने लगीं, “आहह… उफ्फ… रितेश… हाय…” वो मेरा सिर अपनी चूत में दबाने लगीं।
थोड़ी देर चूसने के बाद वो चिल्लाईं, और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं चूसता रहा। वो निढाल होकर लेट गईं। फिर बोलीं, “जल्दी ऊपर आओ… अंदर डालो… नहीं तो मैं मर जाऊँगी।”
मैंने उनकी टाँगें चौड़ी कीं और लंड उनकी चूत पर सेट करने लगा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड बार-बार फिसल रहा था। भाभी हँसने लगीं और बोलीं, “अनाड़ी हो तुम… लाओ, मैं सेट करती हूँ।” उन्होंने मेरा लंड पकड़कर चूत पर सेट किया और बोलीं, “जोर से धक्का मारो।”
मैंने जोर से धक्का मारा। लंड फच्च से अंदर गया, और मुझे जलन सी महसूस हुई। भाभी भी चिल्लाईं, “आहह… धीरे…” मैं उनकी चुचियों को मसलते हुए धक्के मारने लगा, “फच… फच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। वो सिसकारियाँ ले रही थीं, “उम्म… हाय… और जोर से…”
मैं बार-बार लंड बाहर निकाल रहा था। भाभी बोलीं, “तुमसे चुदाई नहीं होगी। नीचे लेटो।” मैं नीचे लेट गया। भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे लंड को अपनी चूत में लिया। वो धक्के मारने लगीं, “फच… फच…” की आवाज़ तेज हो गई। मैं उनके होंठ चूस रहा था और उनकी गांड को जोर-जोर से दबा रहा था।
पाँच मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा। मैंने कहा, “भाभी… मेरा निकलने वाला है…” मेरा लावा फूट पड़ा। भाभी अभी भी धक्के मार रही थीं। शायद उनका काम नहीं हुआ था। मैं थोड़ा उदास हो गया।
वो बोलीं, “कोई बात नहीं, पहली बार सबका ऐसा होता है। मैं तुम्हें सब सिखा दूँगी। तुम्हें पक्का चोदू बना दूँगी।” थोड़ी देर बाद भाभी भी झड़ गईं। वो मेरे बगल में लेट गईं। हम एक-दूसरे को बाँहों में लेकर बातें करने लगे, फिर चूमने लगे।
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