जैसा कि पहले बताया जा चुका है, ” नितम्ब-सुख ” एक वेब सीरीज पोर्न कम्पनी ( कला केंद्र ) है जहां नंगी कला को प्रोत्साहन दिया जाता है. इसकी प्रोड्यूसर-डाइरेक्टर कोंकणा कंवर है. कोंकणा कंवर ३३ वर्ष की है; उसकी बड़ी बहन कादम्बरी भी मस्तकदम्ब रमणी है. नितम्ब-सुख सांस्कृतिक कलाकेंद्र का धर्म और कर्तव्य कर्म वही है जो पहले बताया जा चुका है. फिर भी मैं सुस्पष्ट रूप से दोहरा देता हूँ: It is hardcore ass-fucking of tender girls, schoolgirls up to the age of 17, and women between the age of 18 to 39, at the least and at the most. This is to be done in a cultured manner. Besides it is ass pleasure of all sorts. जो तरुण या वृद्ध पुरुष हैं वे इस क्षेत्र में कोमल, लचीली, लजीली कन्याओं की गांड मार-मार कर मजा लेते हैं, और आजकल तो तरुण रमणियाँ भी चस्के से अपनी गांड मरवाती हैं. )
” रमणी और छोरियां गरम-गरम ” ( क्रम-३ ) कहानी में मैंने कमसिन छोकरी ” गंगा ” की गांड उसके सगे बाप के सामने मारी थी. यह मेरा बिलकुल पहला कला प्रदर्शन था. ” नितम्ब-सुख ” नग्न कलाकेन्द्र की संचालिका व निर्देशिका कोंकणा कंवर और उसकी बड़ी बहन कादम्बरी पर उसका अच्छा असर पड़ा. इस घटना के तीसरे दिन कोंकणा ने मुझे अपने घर आमंत्रित किया. वहां मुझे ज्ञात हुआ कि उसकी छोटी बहन भी है. कोंकणा बोली – ” आपकी कला देख मुझे लगा कि आप और हम लोग और निकट आ सकते हैं ” . फिर उसने हँसते हुए कहा – ” आपका शिश्न ( COCK ) एवं अंडकोष ( BALLS ) बलिष्ठ है, ” फिर उसने कहा – ” भाई साहब, मैं चाहती हूँ आप ज्यादा अश्लीलता से बेरहम होकर कन्याओं और रमणियों की गांड मारा करें. ”
फिर उसने परिचय कराया – अपनी छोटी बहन शर्मिला से. बड़ी बहन कादम्बरी को मैं जानता था. तीनों बहनें अपनी-अपनी बेटियों के साथ विराजमान थीं. शर्मिला अपनी ७-साल की बिटिया; निकिता; ( निक्की ) के साथ, कादम्बरी अपनी १७ साल की बेटी पिनाकी ( पिंकी ) के साथ, व कोंकणा अपनी १३ वर्ष की सुपुत्री रम्या ( रम्मो ) के साथ. शर्मिला २७ की ही थी, और मैंने देखा वह कुछ शरमा भी रही थी. तीनों बहनों का ध्यान मेरी कद-काठी अर्थात गठीले शरीर की सकल मांसपेशियों पर था, विशेषकर मेरी छाती एवं नाभि के नीचे की जंघाओं, शिश्न और अंडकोष पर. मैंने भी इन तीनों बहनों की कदकाठी आंख खोल देखी.
फिर कोंकणा बोली – ” भाई साहब, मैं घरेलू उपयोग के लिए आपके लंड के कुछ शॉट्स चाहती हूँ. मैं प्रत्यक्षतः जानना चाहती हूँ कि जब भी आप किसी कन्या, छोरी, छोकरी, या रमणी की गांड मारते हों तो वास्तव में उनको कितना मज़ा आता होगा? ”
यह सुन मैं हक्का बक्का हो गया. मेरी सांस तेज चलने लग गई. किसी तरह से मैं बोला – ” बेटा, मैं ५८ साल की उम्र में यह कामुक अश्लील काम कला के खातिर करता हूँ. आपने मुझे भाई साहब कहा है तो आप तीनों मेरी बहनें हुईं ना? क्या मैं बहनचोद हूँ? बोलो???
इस पर कादम्बरी बोली – ” भाई साहब, प्यारे भैय्या, आजकल तो सगी बहन सगे भाई से खुल कर चुदवाती है, गांड मरवाती हैं. अब आप तो कहने भर के भैय्या हो, यार हर्ज क्या है? यह तो घरेलू मामला है; भाई-बहन राजी तो क्या करेगा काजी? ”
तब मैं बोला – ” अच्छा बेटी, चलो तुम्हारी बात मान ही लेता हूँ. इस पर कोंकणा ने टोका – ” बेटी नहीं, हमें भेन ( बहन ) कहो!! मज़ा आ जाएगा. ”
कोई चारा नहीं था. मैं खंखार कर बोला – ” चलो तीनों आ जाओ! आज रंडीबाजी न सही ” बहनबाजी ” ही के मज़े ले लेता हूँ.
तीनों बोलीं – ” ठहरो राजा भैय्या, हम आज शादी के जोड़े में निखर, मंगलसूत्र, गहने पहन, व सिंदूर लगा कर आती हैं तब तक आप हमारी प्यारी बच्चियों से खेलो ” .