पहली चुदाई की मधुर बेला- 1

पहली चुदाई की मधुर बेला- 1

माय फर्स्ट ओरल सेक्स एक्सपीरियंस मुझे मिला मेरी शादी के बाद मेरी सुहागरात को. मेरे पति ने मुझे नंगी करके मेरी चूत चाट कर मेरा पानी निकाल दिया.

दोस्तो, मैं आपकी xxx सेक्सी जुगनी अपनी चुदाई की कहानी लेकर आपके सामने हाजिर हूँ।

इस हसीन और उत्तेजक सेक्स कहानी में मैं आप सबको अपनी पहली चुदाई की रंगीन दास्तान सुनाऊंगी कि कैसे मैंने अपने तन की भूख को पहली बार शांत किया था।

दोस्तो, माय फर्स्ट ओरल सेक्स एक्सपीरियंस की कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने दिलकश और मदहोश कर देने वाली फिगर के बारे में बता देती हूँ।

मेरा फिगर बिल्कुल सनी लियोनी की तरह नशीला और करीना की तरह साइज़ जीरो वाला है।
लेकिन मेरे कूल्हे और चूचे इतने बड़े व रसीले हैं कि हर नज़र उन पर ठहर जाए।

मेरे मोटे, गोल कूल्हे हर किसी के दिल में आग लगा देते हैं।
मेरे पति मुकेश को भी मेरी इस भरी-पूरी गांड को सहलाना और उसमें डूब जाना सबसे ज्यादा पसंद है।

मेरी गांड का साइज़ पहले पच्चीस था, जो अब तीस-बत्तीस की दिलकश चौड़ाई ले चुका है।
मेरे चूचे भी कमाल के हैं।
बड़े, भरे हुए और इतने मस्त कि देखते ही मुँह में पानी आ जाए।

तो चलिए दोस्तो, अब मैं अपनी इस रंगीन कहानी की शुरुआत करती हूँ।

यह बात उस वक्त की है जब मैं एक कोमल, मासूम कली की तरह थी, जिसमें जवानी की सुगंध बस खिलने को थी।
मैं अपनी स्कूल की पढ़ाई हॉस्टल में रहकर कर रही थी।

इसी बीच मेरे लिए एक रिश्ता आया।

लड़के का नाम था मुकेश कुमार, जो हमारे दूर के रिश्तेदार भी थे।

मुकेश ने मुझे शायद किसी फंक्शन में देखा था और मेरे इस हसीन, उफनते फिगर ने उन्हें अपना दीवाना बना लिया था।

मैंने भी मुकेश की तस्वीर देखी थी।
मुझे भी वे दिखने में ठीक-ठाक लगे।
उनकी लंबी, गठीली कद-काठी, चौड़ी छाती और मांसल जिस्म देखकर मेरा दिल भी थोड़ा डोला।

हालांकि मुकेश तलाकशुदा थे.
लेकिन कुछ इस तरह की परिस्थियां बन गई थीं कि मुझे मुकेश से शादी करना अच्छा लग रहा था.

जैसा कि हर लड़की सोचती है, मैंने भी कल्पना की कि मुकेश का लंड शायद पांच-छह इंच का होगा।

उस वक्त मुझे बस अपनी गांड में उंगली करने का ही हल्का-सा अनुभव था, जो मैंने अपनी सखी निशा को देखकर सीखा था।

निशा की तो अब शादी भी हो चुकी थी।
मैंने भी बिना ज्यादा सोचे-समझे शादी के लिए हां कर दी।

लेकिन फिर न जाने क्यों, मेरे मन में एक अनजाना डर घर करने लगा।
मैंने अपनी सहेली निशा से अपनी ये उलझन साझा की।

निशा ने हंसते हुए कहा- देख जुगनी, शादी से पहले हर किसी को डर लगता है। मुझे भी लगा था, लेकिन बाद में सब कुछ इतना मज़ेदार हो गया कि डर काफूर हो गया। तुम्हें भी धीरे-धीरे सब अच्छा लगने लगेगा.

निशा की बातों से मेरा डर कुछ हल्का हुआ और फिर वक्त के साथ शादी का दिन भी आ गया।
आखिरकार मेरी और मुकेश की शादी हो गई।

मैं अपने कमरे में घबराई हुई-सी बैठी थी, सोच रही थी कि पता नहीं मेरे पति मुकेश मेरे साथ क्या-क्या करने वाले हैं।

तभी मुकेश ने दरवाजा खोला और अन्दर आए।
दरवाजा बंद करते ही वे मेरे पास धीरे-धीरे आए।

उन्होंने बड़े प्यार से मेरा घूंघट उठाया और मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
मेरे साथ प्यार भरी बातें करते हुए उन्होंने मेरा घूंघट हटाया और धीरे-धीरे मेरे कपड़े उतारने लगे।

मैं घबरा गई।
मैंने कहा- नहीं, ये ठीक नहीं है। मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं किया.

मुकेश ने मेरे गालों को चूमते हुए कहा- जुगनी, मेरी जान … तुम बेकार डर रही हो। मैं सब कुछ इतने प्यार और आराम से करूँगा कि तुम्हें दर्द नहीं, बल्कि सिर्फ मज़ा आएगा. हां अब तुम मुझे राजा कह कर बुलाया करो.

मैंने शर्माते हुए कहा- ठीक है मेरे राजा, मैं तैयार हूँ.

फिर मुकेश ने धीरे-धीरे मेरे सारे कपड़े उतार दिए।
अब मैं उनके सामने सिर्फ चड्डी में थी।

उन्होंने मेरे पूरे बदन को चूमना शुरू किया।
मेरे जिस्म में एक जलती हुई आग सी फैलने लगी।

मैंने उन्हें अपनी छाती से कसकर चिपका लिया।
फिर मुकेश ने मेरी चड्डी भी उतार दी।
मुझे बहुत शर्मिंदगी हो रही थी।

मैंने अपनी लाडो रानी यानी अपनी चूत को दोनों हाथों से ढक लिया।
मुकेश ने मेरे हाथों को चूमते हुए धीरे से हटा दिया।

मेरी चूत पर घने बालों का जंगल था क्योंकि मैंने उसे कभी साफ नहीं किया था।

मुकेश को हंसी आ गई।
उन्होंने कहा- जुगनी, ये क्या हाल बना रखा है?

मैंने शर्माते हुए कान पकड़ लिए और कहा- सॉरी राजा, मुझे अपनी चूत साफ करना नहीं आता.
उन्होंने प्यार से कहा- कोई बात नहीं, लाओ मैं साफ कर देता हूँ.

मैं डर गई और बोली- नहीं, रहने दीजिए, कहीं कट न जाए.
मुकेश ने मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन देते हुए कहा- मेरी रानी, तुम्हें कुछ नहीं होगा.

वे मुझे प्यार से रानी कह रहे थे और मैं उन्हें राजा।
मैंने कहा- ठीक है.

फिर वे उठे और अपनी रेज़र मशीन ले आए।
दो मिनट में उन्होंने मेरी चूत को मखमल की तरह चिकना कर दिया।

मेरी क्लीन शेव चूत अब और भी हसीन लग रही थी।

झांटों की सफाई के बाद मुकेश ने मेरे दोनों पैरों को फैलाया।
मेरी चूत में हल्की जलन थी तो उन्होंने ठंडी-ठंडी वाइन मेरी चूत पर डाली और थोड़ा-सा शहद भी लगाया।
इससे मुझे राहत मिली।

फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत की फांकों में डाल दी।
उनकी नुकीली मूंछें मुझे गुदगुदा रही थीं।

मेरे मुँह से ‘आह … उह … सीस …’ जैसी मदहोश कर देने वाली आवाज़ें निकलने लगीं।
पहली पहली बार किसी ने मेरी चूत को छुआ था, तो अजीब-सा मज़ा आ रहा था।

लग रहा था मानो मेरी चूत में जैसे चींटियां रेंग रही हों।

मैंने अनायास ही मुकेश का सिर पकड़कर अपनी चूत में और गहराई तक दबा दिया।
थोड़ी देर बाद मैं झड़ गई।

उन्होंने मेरी चूत का सारा रस पी लिया और थोड़ा-सा मुझे भी चखाया।

दोस्तो, पहली बार मुझे अपनी चूत के रस का स्वाद पता चला।
एकदम मीठा और हल्का-सा खट्टा।

उन्होंने मेरी चूत में उंगली डालकर और भी रस बाहर निकाला, जैसे मेरे जिस्म की हर नस को निचोड़ देना चाहते हों।

मैं बार-बार कराहती हुई कहती रही- आह जानू … मेरे राजा, मुझे दर्द हो रहा है.
लेकिन उन्होंने मेरी एक भी नहीं सुनी।

उनके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी, जैसे वह मेरे होंठों से निकली हर सिसकी को और भड़काना चाहते हों।
मैं समझ गई कि ये मुझे पूरी तरह तृप्त करके ही दम लेंगे।

तो मैंने भी अपने जिस्म को उनके हवाले कर दिया और हार मान ली।
मैंने देखा, जहां मैं अपनी नाज़ुक चूत में बस एक उंगली डालकर संतुष्ट हो जाती थी, मुकेश ने अपनी दो मोटी, सख्त उंगलियां मेरी चूत में घुसेड़ दीं।

उनकी उंगलियां इतनी लंबी और ताकतवर थीं कि मेरी तो सांसें ही थम गईं।
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी चूत अभी फट जाएगी और सारा जिस्म बिखर जाएगा।

उनकी हर हरकत मेरे बदन में बिजली-सी दौड़ा रही थी … और फिर आखिरकार, एक जोरदार झटके के साथ मैं झड़ गई।

मेरी चूत का रस बेकाबू होकर पूरे बिस्तर पर फैल गया, जैसे कोई नदी उफान पर आ गई हो।

हम दोनों ने हंसते हुए जल्दी से बिस्तर बदला क्योंकि गीला चादर अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
बिस्तर साफ करने के बाद मुकेश ने मुझे शरारत भरी नज़रों से देखा।

अब पानी निकालने की बारी मेरी थी और मेरे दिल में एक नई उत्तेजना जाग उठी थी।

मैं इतने में ही पूर्ण रूप से संतुष्ट हो गई थी और अब मैं बहुत खुश थी कि अब मुझे इनके लंड के दर्शन होंगे।

मुझे लग रहा था कि इनका लंड सिर्फ 5 या 6 इंच का होगा।

मैंने जल्दी मुकेश की पैंट और चड्डी को उतारा, लेकिन ये क्या … मुकेश का लंड जरूरत से ज्यादा लम्बा और मोटा ताजा था और काला भी।
इनका लंड देखकर मेरी तो गांड ही फट गई। मुकेश का लंड मेरी उम्मीद से दुगना था, एकदम किसी गधे के लंड की तरह।

जबकि मेरी चूत की फांक शायद चार इंच की ही रही होगी।
मैं डर रही थी।

मैंने डरते हुए कहा- मुकेश मैं आपका इतना बड़ा मुँह में नहीं ले पाऊंगी। मेरा मुँह फट जाएगा।

मुकेश ने मेरे होंठों को चूमते हुए कहा- जुगनी मेरी जान तुम बेकार में डर रही हो, मैंने अब तक अपने इसी लंड से बहुत सारी लड़कियों को चोदा है और उन्हें मां बनाया है। तुम फिक्र मत करो तुम्हें कुछ भी नहीं होगा। हां तुम्हारा पहली बार है इसलिए थोड़ा सा दर्द होगा। लेकिन फिर बाद में मजा भी आएगा।

मैं किसी तरह तैयार हो गई, मेरे पास तैयार न होने का कोई विकल्प भी नहीं था.

दोस्तो, आप लोग यकीन मानिए मुझे पता तक नहीं चला कि कब इन्होंने मेरा हाथ अपने मोटे से क्रिकेट के विकेट जैसे लंड पर रख दिया।

मुकेश ने मेरे हाथ को पकड़ा हुआ था ताकि मैं कहीं हाथ हटा न दूं।
अब मुझे भी धीरे धीरे करके मुकेश के लंड को मसलने में मजा आने लगा।
उन्होंने मेरी ठुड्डी को ऊपर उठाया और अपने मुँह को गोल करके लौड़े को मुँह में भरने का इशारा किया.

फिर मैंने उनकी आंखों में देखते हुए ही धीरे से अपने होंठों को लंड से छुआ दिया।
हालांकि मैं डर रही थी। मुझे लग रहा था कि इनका लंड मेरे गले तक न घुस जाए।

जब लौड़े के चिकने सुपारे के रस ने मेरी जीभ के स्वाद को मजा दिया तो मैंने उनकी आंखों से अपनी आंखें हटाईं और पूरा ध्यान लंड चूसने में लगा दिया.
तब भी मैं डर रही थी.
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, डर और उत्तेजना दोनों एक साथ मेरे जिस्म में दौड़ रहे थे।

इन्होंने मेरे डर को भांप लिया और मुझसे कहा- तुम फिक्र मत करो, तुम्हें ज़रा भी दर्द नहीं होगा.
उनकी बातों से हिम्मत लेकर मैंने धीरे से उनके लंड को अपने मुँह में ले लिया।

ये मेरा पहला मौका था जब मैंने किसी लंड को अपने मुँह में लिया।
शुरू-शुरू में तो ये सब कुछ अजीब-सा लगा, जैसे मेरे होंठ और जीभ को समझ ही न आए कि क्या करना है।
लेकिन थोड़ी देर बाद माय फर्स्ट ओरल सेक्स एक्सपीरियंस में मज़ा आने लगा।

मैं उनके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, धीरे-धीरे उसकी गर्मी और स्वाद को महसूस करते हुए।

तभी अचानक मुकेश ने मेरे सिर के पीछे ज़ोर से धक्का दिया।
उनका पूरा लंड मेरे मुँह में गले तक उतर गया।
मेरी सांसें रुक गईं, घबराहट होने लगी।

मैं इसे बाहर निकालना चाहती थी लेकिन उन्होंने मेरे सिर को पीछे से कसकर पकड़ रखा था।
मैं बस ‘गु … गु …’ की आवाज़ निकाल पा रही थी।

फिर धीरे-धीरे मुझे उनके लंड को चाटने में मज़ा आने लगा।
मैं खुद ही उसे अपने मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी, जैसे मेरे होंठ उसकी हर नस को सहला रहे हों।

थोड़ी देर बाद मुकेश ने अपनी पोजीशन बदली।
उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे मुँह पर बैठ गए।

फिर से अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और वे खुद बड़े मज़े से मेरी चूत चाटने लगे।
उनकी जीभ मेरी चूत की फांकों में ऐसे घूम रही थी जैसे कोई जादू कर रही हो।

हम दोनों पति-पत्नी इस नशे में डूब चुके थे … मज़ा अपने चरम पर था।

लगभग आधे घंटे की इस चूसम-चुसाई के बाद मैं झड़ गई।
मेरी चूत का पानी मेरी गांड तक बहने लगा, बिस्तर को तर कर दिया।
लेकिन मुकेश अभी तक नहीं झड़े थे।
मेरे होंठ सूख गए थे, मुँह में दर्द होने लगा था।

आखिरकार मुकेश ने धीरे से अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और कहा- अब तुम अपने हाथों से इसे हिलाओ और मेरा पानी निकालो.
मैंने उनके उस विशाल लंड को अपने नाज़ुक हाथों में थाम लिया और हिलाने लगी।

उनकी सांसें तेज़ होने लगीं।

आखिरकार जब वे झड़ने वाले थे, उन्होंने अपना लंड एक बार फिर मेरे मुँह में डाल दिया।
उनका सारा माल मेरे मुँह में भर गया।

लंड बाहर निकालते ही मैंने कहा- छी, ये आपने क्या किया?’

मुकेश ने मुझे चूमते हुए पूछा- मेरा रस कैसा लगा?
मैंने शर्माते हुए कहा- बहुत मीठा-मीठा था, थोड़ा खट्टा भी.

उन्होंने अपना कुछ माल मेरे मम्मों पर भी गिरा दिया।
मैंने उनके लंड को चाटकर साफ कर दिया और उन्होंने भी मेरे मम्मों से अपने रस को अपनी जीभ से चाटकर साफ किया।

मैंने देखा कि झड़ने के बाद उनका नाग यानि लंड मुरझा गया था।

मैंने हिम्मत करके उनके टट्टों को सहलाया, उनकी गांड को भी छुआ, तब जाकर उनका लंड फिर से तनकर खड़ा हुआ।

अब वह घड़ी आ ही गई थी, जब मुझे चुदाई का सामना करना था।

मेरे दिल में डर की लहरें उठ रही थीं और उत्तेजना भी अपने चरम पर थी।

दोस्तो, अभी के लिए इतना ही।
मैं आप लोगों को अपनी कहानी के अगले भाग में बताऊंगी कि मेरे पति मुकेश ने मुझे चुदाई के लिए किस तरह मनाया और फिर मेरी चुदाई की।

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