मेरा नाम शकुंतला है। मैं 36 साल की एक खूबसूरत औरत हूँ। मेरी गोरी रंगत, लंबा कद, और पतली कमर मुझे हर किसी की नजरों में आकर्षक बनाती है। मेरी चूचियाँ 36 नंबर की ब्रा में पूरी तरह फिट होती हैं, बड़ी-बड़ी और टाइट, जो मेरे ब्लाउज में हमेशा उभरी रहती हैं। मेरी गांड गोल और भारी है, जो साड़ी में और भी ज्यादा निखरकर सामने आती है। आज मैं अपनी जिंदगी की एक सच्ची कहानी आपके सामने रखने जा रही हूँ। पहले मुझे बहुत झिझक थी कि अपने बेटे के साथ हुए इस वाकये को कैसे बयान करूँ। लोग क्या सोचेंगे? क्या कहेंगे? पर जब मैंने देखा कि और भी औरतें अपनी माँ-बेटे की कहानियाँ बेझिझक लिख रही हैं, तो मुझे हिम्मत मिली। ये कहानी कल की है, बिल्कुल ताजा, और मैं चाहती हूँ कि आप इसे पढ़कर मेरे दिल की बात समझें।
मेरी जिंदगी में दुखों का पहाड़ तब टूटा जब मेरा पति मुझे छोड़कर चला गया। वो 40 साल का था और एक 18 साल की लड़की के साथ भाग गया। सुनकर हैरानी होती है ना? एक 40 साल का मर्द एक जवान लड़की की टाइट चूत और कसी हुई चूचियों के पीछे पागल हो गया, और मुझे, 36 साल की औरत को, अकेला छोड़ गया। आजकल का जमाना ही ऐसा है, हर कोई अपनी हवस मिटाने की फिराक में रहता है। मैं भी तो इंसान हूँ, मेरे जिस्म में भी आग थी। और उस आग को मेरे अपने बेटे ने ठंडा किया। अब मैं बिना वक्त जाया किए सीधे कहानी पर आती हूँ।
कल की बात है। हमारे खेत में धान की रोपाई का काम जोर-शोर से चल रहा था। मैं और मेरा बेटा, राहुल, जो 19 साल का जवान और तगड़ा लड़का है, सुबह से खेत में काम कर रहे थे। राहुल का कद 5 फीट 10 इंच है, चौड़ा सीना, मजबूत बाजू, और गेहुंआ रंग। वो मेहनती है, और खेत में काम करते वक्त उसकी शर्ट के बटन खुले रहते हैं, जिससे उसका पसीने से तर बदन चमकता है। शाम ढल रही थी, और अचानक आसमान में काले बादल छा गए। देखते ही देखते बारिश शुरू हो गई। खेत में और कोई नहीं था, सब अपने घर जा चुके थे। हम दोनों एक छोटे से पंप हाउस में बारिश रुकने का इंतजार करने लगे।
पंप हाउस छोटा-सा था, मुश्किल से 10 बाय 10 फीट का, मिट्टी की दीवारों और टीन की छत वाला। बारिश की बूंदें छत पर टप-टप गिर रही थीं, और बाहर हल्का अंधेरा छा चुका था। मैं पूरी तरह भीग चुकी थी। मेरी साड़ी मेरे जिस्म से चिपक गई थी। मैंने उस दिन ब्रा नहीं पहनी थी, क्योंकि खेत में काम करते वक्त मुझे ब्रा असहज लगती है। मेरी चूचियाँ गीले ब्लाउज में साफ दिख रही थीं, निप्पल तक उभरे हुए थे। मैंने जल्दी से आँचल को सीने पर डाल लिया, लेकिन तभी मेरी नजर राहुल पर पड़ी। उसकी आँखें मेरी चूचियों पर टिकी थीं, और उसकी साँसें तेज चल रही थीं।
मैंने नजरें फेर ली और पंप हाउस की दीवार की तरफ मुँह कर लिया। लेकिन मेरी गीली साड़ी मेरी गांड से भी चिपक गई थी। मेरी चौड़ी, गोल गांड साड़ी में और भी उभरकर सामने आ रही थी। मैंने महसूस किया कि राहुल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। उसकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर पड़ रही थीं। मेरी धड़कनें तेज हो गईं। मैं समझ गई कि वो मेरे करीब है, बहुत करीब। मेरी साँसें भी तेज होने लगीं। मैंने धीरे से पलटकर उसकी तरफ देखा। वो मेरे सामने खड़ा था, सिर्फ 6 इंच की दूरी पर। उसकी आँखों में एक अजीब-सी आग थी, जो मुझे डराने के साथ-साथ उत्तेजित भी कर रही थी।
अचानक राहुल ने मेरे बाल पकड़े और मुझे अपनी तरफ खींच लिया। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर से चूमने लगा। मैं स्तब्ध रह गई। मेरे हाथ नीचे लटक गए, और मैंने आँखें बंद कर लीं। उसका चुंबन इतना तीव्र था कि मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई। उसका एक हाथ मेरी चूचियों पर चला गया। जैसे ही उसने मेरी चूची को दबाया, मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई, “आह्ह…” मैंने धीरे से कहा, “राहुल, ये ठीक नहीं है… माँ-बेटे के बीच ये सब नहीं होता।”
वो रुका नहीं। उसकी आवाज में एक अजीब-सी तड़प थी, “माँ, आज मुझे अपना बेटा मत बोलो। आज मुझे बस तुम्हें प्यार करने दो। तुम इतनी हॉट, इतनी सेक्सी हो… अगर तुम मेरी माँ न होतीं, तो मैं तुमसे शादी कर लेता।” उसकी बातें सुनकर मेरे मन में उथल-पुथल मच गई। मैं जानती थी कि ये गलत है, पर मेरे जिस्म में जो आग भड़क रही थी, वो मुझे रोकने नहीं दे रही थी।
राहुल ने मुझे और करीब खींच लिया। उसने मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसलना शुरू कर दिया। उसका एक हाथ मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी गांड पर चला गया, और उसने मुझे अपनी तरफ दबा लिया। मुझे उसके लंड का एहसास हुआ। साड़ी के ऊपर से ही उसका मोटा, लंबा लंड मेरी जाँघों को छू रहा था। मेरे मुँह से बेसाख्ता एक और सिसकारी निकली, “आह्ह… राहुल…” मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया। वो इतना सख्त और गर्म था कि मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ गया।
उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए। मैंने भी अब विरोध छोड़ दिया और ब्लाउज को अपने हाथों से उतार फेंका। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ आजाद हो गईं। राहुल की आँखें चमक उठीं। उसने तुरंत मेरे एक निप्पल को मुँह में ले लिया और चूसने लगा। “आह्ह… ऊह्ह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसका मुँह मेरी चूचियों पर इस तरह चल रहा था जैसे वो उन्हें पूरा निगल लेना चाहता हो। मैंने उसका सिर पकड़ लिया और अपनी चूचियों में दबा लिया। मेरे बदन में आग लग चुकी थी।
बाहर बारिश और तेज हो गई थी। बिजली चमक रही थी, और उसकी रोशनी में राहुल का चेहरा और भी कामुक लग रहा था। उसने मेरी साड़ी को कमर तक उठा दिया। मैंने अपनी पैंटी नीचे सरका दी। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और उसकी उंगलियाँ जैसे ही मेरी चूत को छूईं, मेरे मुँह से एक लंबी सिसकारी निकली, “आह्ह… राहुल… धीरे…” उसने मेरी चूत को सहलाया, और फिर एक उंगली अंदर डाल दी। “उह्ह… ओह्ह…” मैं मचल उठी। उसकी उंगली मेरी चूत में अंदर-बाहर होने लगी, और मैं अपने कूल्हों को हिलाने लगी।
“माँ, तुम कितनी गीली हो,” राहुल ने कहा, उसकी आवाज में वासना भरी थी। “तेरी चूत इतनी टाइट है… मैं इसे चोदने के लिए पागल हो रहा हूँ।” उसकी गंदी बातें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं। मैंने कहा, “राहुल… चोद दे मुझे… अब और बर्दाश्त नहीं होता।”
उसने मुझे दीवार के सहारे झुका दिया। मैंने अपने हाथ दीवार पर रखे और अपनी गांड पीछे की। राहुल ने अपना लंड बाहर निकाला। उसका लंड 7 इंच लंबा और मोटा था, पूरी तरह तना हुआ। उसने उसे मेरी चूत के छेद पर रगड़ा। “आह्ह… राहुल… डाल दे… जल्दी…” मैंने तड़पते हुए कहा। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आआह्ह… ऊह्ह… ओह्ह…” मैं चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया, और मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे पूरे बदन में बिजली दौड़ गई।
राहुल ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “चप… चप… चप…” उसका लंड मेरी गीली चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। मैं अपनी चूचियों को खुद मसल रही थी, और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… राहुल… और जोर से… चोद मुझे…” वो मेरी गांड को सहलाते हुए जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “माँ, तेरी चूत कितनी गरम है… आह्ह… मैं इसे पूरा चोद डालूँगा,” उसने कहा।
मैंने भी अपने कूल्हों को पीछे धकेलना शुरू कर दिया। हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ हिल रही थीं। राहुल ने मेरी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें जोर-जोर से दबाने लगा। “आह्ह… ओह्ह… राहुल… हाँ… ऐसे ही… और जोर से…” मैं चीख रही थी। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था, और हर धक्के के साथ मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही थी।
करीब 10 मिनट तक वो मुझे घोड़ी बनाकर चोदता रहा। फिर मैंने कहा, “राहुल… मैं थक गई… अब नीचे लेटने दे।” मैं जमीन पर लेट गई। मेरी साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी, और मेरी चूत पूरी तरह गीली थी। मैंने अपने पैर फैला दिए। राहुल मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरे पैर अपने कंधों पर रखे और फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “आआह्ह… ऊह्ह…” मैं फिर से चीख पड़ी। उसने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। “चप… चप… चप…” उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं।
“माँ, तू कितनी सेक्सी है… तेरी चूत ने मुझे पागल कर दिया,” राहुल ने कहा। “आह्ह… राहुल… चोद दे मुझे… और जोर से…” मैंने तड़पते हुए कहा। उसने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और उसका लंड हर बार और गहराई तक जा रहा था। मैंने अपनी चूचियों को जोर-जोर से मसलना शुरू कर दिया। “आह्ह… ऊह्ह… ओह्ह… राहुल… मैं झड़ने वाली हूँ…” मैं चीख पड़ी।
राहुल ने और जोर से धक्के मारे। “माँ, मैं भी झड़ने वाला हूँ… आह्ह…” उसने कहा। उसने एक आखिरी जोरदार धक्का मारा, और उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में भर गया। “आआह्ह…” मैं भी झड़ गई। मेरा पूरा बदन काँप रहा था। मैं वहीँ जमीन पर लेटी रही, साँसें तेज चल रही थीं। राहुल भी मेरे बगल में लेट गया।
करीब 15 मिनट बाद मैं उठी। बारिश अब थम चुकी थी। मैंने अपनी साड़ी ठीक की, ब्लाउज पहना, और राहुल ने भी अपने कपड़े पहन लिए। हम दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और घर की ओर चल पड़े। रास्ते में हम दोनों चुप थे, लेकिन हमारी आँखों में एक अजीब-सा सुकून था। उस रात घर पहुँचकर भी राहुल ने मुझे फिर से चोदा। वो रात मेरी जिंदगी की सबसे हसीन रात थी।
अब मुझे लगता है कि मुझे किसी चीज की कमी नहीं है। राहुल ने मुझे वो सुख दिया जो मैंने अपने पति से भी कभी नहीं पाया। मैं खुश हूँ, और मुझे यकीन है कि जब राहुल की शादी होगी, तब भी वो मुझे और अपनी बीवी, दोनों को खुश रखेगा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी उत्तेजक और निषिद्ध अनुभव किया है? अपने विचार नीचे कमेंट में जरूर बताएँ।