रा नाम कंचन है। ये मेरी पहली सेक्सी कहानी है, और मैं इसे लिखते हुए थोड़ा नर्वस भी हूँ, क्योंकि ये मेरे दिल के बहुत करीब है। मैं लखनऊ से हूँ और लखनऊ यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन कर रही हूँ। मेरी उम्र 21 साल है, और मेरी बॉडी का शेप ऐसा है कि कॉलेज के लड़के मेरे पीछे पागल रहते हैं। मेरे 34 साइज के बूब्स, पतली कमर और उभरी हुई गांड की वजह से हर कोई मुझे घूरता रहता है। मेरे लंबे काले बाल और गोरी रंगत की वजह से कॉलेज में लड़के मुझ पर लाइन मारते नहीं थकते। दोस्तों, मैं आपका टाइम वेस्ट नहीं करूँगी और सीधे अपनी कहानी पर आती हूँ। ये मेरा पहला सेक्स एक्सपीरियंस है, जो मेरे बॉयफ्रेंड अनुपम के साथ हुआ, और वो भी इतना हॉट कि आज भी याद करके मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
अनुपम मेरी क्लास का सबसे स्मार्ट और हैंडसम लड़का था। उसकी हाइट 6 फीट, चौड़ी छाती और वो चालाकी भरी मुस्कान जो किसी का भी दिल चुरा ले। हमारी दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई थी। ये बात 15 जनवरी की है, जब दिल्ली में सर्दी अपने पूरे शबाब पर थी। हवा ऐसी कि हड्डियाँ जमा दे। मैं और अनुपम रोज रात को 2-3 घंटे फोन पर बात करते थे। उसे सेक्स की बातें करना बहुत पसंद था। “कंचन, तुम्हारा साइज क्या है? आज क्या पहना है?” वो बार-बार पूछता। मुझे भी उसकी ये बातें सुनकर अंदर ही अंदर गुदगुदी होती थी, पर शर्म की वजह से मैं हँसकर टाल देती थी। डर लगता था कि कहीं वो मेरे बारे में गलत न सोचे। लेकिन उस रात कुछ अलग था, क्योंकि 15 जनवरी को उसका जन्मदिन था।
दिन भर हमने खूब मस्ती की। कॉलेज के बाद हम दोस्तों के साथ कैफे गए, खूब हँसे, खाना खाया और अनुपम को ढेर सारे गिफ्ट्स दिए। रात को जब फोन पर बात शुरू हुई, तो उसने फिर से अपनी वही सेक्सी बातें शुरू कर दीं। “कंचन, तुम आज कितनी हॉट लग रही थी। वो टाइट स्वेटर… उफ्फ… तुम्हारे बूब्स तो बाहर आने को बेताब थे।” मैं हँस पड़ी और बोली, “अनुपम, बस करो! शर्म आती है।” लेकिन सच कहूँ, मुझे उसकी बातें सुनकर मजा आ रहा था। फिर उसने अचानक पूछा, “कंचन, तुम कभी शेव करती हो?” मैं एकदम चौंक गई। “अरे, ये क्या पूछ रहे हो? लड़कियाँ भी शेव करती हैं क्या?” मैंने नाटक किया। वो हँसा और बोला, “अरे, बिल्कुल करती हैं। शेव नहीं करोगी तो इन्फेक्शन हो सकता है। हर 1-2 महीने में तो करना चाहिए।”
मैं तो डर गई। सोचा, कहीं सचमुच कोई बीमारी न हो जाए। मैंने तो कभी इस बारे में सोचा भी नहीं था। “मैंने तो आज तक शेव नहीं किया,” मैंने धीरे से कहा। उसने तुरंत जवाब दिया, “कोई बात नहीं, मैं कर दूँगा। तुम छत पर आ जाओ, मैं भी आता हूँ।” पहले तो मैं हिचकिचाई। रात के 1 बजे छत पर जाना? लेकिन अनुपम की बातों में ऐसा जादू था कि मैं मान गई। मैंने अपने गुलाबी स्वेटर और टाइट जींस पहनी थी, ऊपर से मोटा कोट लिया और चुपके से छत पर चली गई। ठंड इतनी थी कि मेरे हाथ-पैर काँप रहे थे। अनुपम पहले से ही वहाँ था, काले जैकेट और जींस में। मुझे देखते ही उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ीं, और वो मुझे जोरदार स्मूच करने लगा।
उसके होंठ मेरे होंठों पर थे, उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली। मैं भी बहक गई और उसका साथ देने लगी। हमने करीब 3 मिनट तक स्मूच किया, मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे, और उसके हाथ मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए थे। फिर उसने जेब से रेजर निकाला और बोला, “चलो, जो काम करने आए हैं, वो कर लेते हैं।” मैं शरमा गई। “अनुपम, मुझे बहुत शर्म आ रही है,” मैंने धीरे से कहा। वो हँसा, “अरे, शर्माओ मत। बीमारी हो जाएगी तो फिर क्या करोगी? चलो, बाल साफ कर लेते हैं।” मैंने हल्के से हामी भरी, पर बोली, “प्लीज, दर्द मत करना।”
उसने मेरे कोट के बटन खोल दिए। ठंड की वजह से मैं काँप रही थी। फिर उसने मेरी जींस की जिप खोली और धीरे-धीरे उसे नीचे सरका दिया। मैं सिर्फ अपने गुलाबी स्वेटर और काली पैंटी में थी। मेरे दाँत बज रहे थे। उसने मुझे काँपते देखा तो मजाक में बोला, “अरे, मेरा लंड पकड़ लो, ठंड भाग जाएगी।” मैंने पहले भी उसका लंड टच किया था, तो मैंने बिना ज्यादा सोचे उसकी जींस की जिप खोली और उसका लोहे जैसा सख्त, 10 इंच लंबा और 6 इंच मोटा लंड कसकर पकड़ लिया। उसका लंड इतना गर्म था कि मेरे हाथ में आग सी लग रही थी।
अनुपम मेरे सामने घुटनों पर बैठ गया और 69 पोजीशन में मेरी चूत के पास आ गया। उसने रेजर लिया और धीरे-धीरे मेरे झांट साफ करने शुरू किए। उसका गर्म हाथ मेरी चूत के आसपास घूम रहा था, और मेरे पूरे बदन में करंट सा दौड़ रहा था। “आआह्ह…” मैं सिसकारी। वो धीरे-धीरे रेजर चला रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के आसपास छू रही थीं। अचानक उसने रेजर साइड में रखा और मेरी चूत पर जीभ रख दी। “आआह्ह… अनुपम… ये क्या…” मैं सिहर उठी। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “ओह्ह… अनुपम… आआह्ह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। वो मेरी चूत को चूस रहा था, उसकी
“कंचन, कितनी टेस्टी है तुम्हारी चूत,” उसने कहा और फिर से चाटने लगा। मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही थी। उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डालने की कोशिश की। “आआह्ह… नहीं… अनुपम… रुक जा…” मैं उछल पड़ी। मुझे लगा जैसे मेरा पेशाब निकल जाएगा। लेकिन उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरी चूत का सारा रस पी गया। उसका चेहरा गीला हो चुका था। वो मुस्कुराया और बोला, “कंचन, अब मेरा लंड मुँह में लो।” मैंने मना कर दिया, “नहीं, अनुपम, ये मुझसे नहीं होगा।” उसने जिद की, “अरे, मेरी कसम है, थोड़ा सा तो करो।” मैंने हिचकते हुए उसके लंड को मुँह से छुआ, पर मुझे अच्छा नहीं लगा। “प्लीज, ये नहीं कर सकती,” मैंने कहा।
वो बोला, “ठीक है, अगर ये नहीं तो सेक्स कर लेते हैं।” मैं डर गई। “नहीं, अनुपम, मैं तैयार नहीं हूँ,” मैंने कहा और छत से भागने लगी। रात के 2 बज रहे थे, और चारों तरफ सन्नाटा था। उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और जबरदस्ती फर्श पर लिटा दिया। मेरी पैंटी अभी भी नीचे थी, और मेरा स्वेटर ऊपर उठा हुआ था। वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे बूब्स चूसने लगा। “आआह्ह… अनुपम… धीरे…” मैं सिसकारी। मेरे 34 साइज के बूब्स उसके मुँह में नहीं समा रहे थे। वो जोर-जोर से चूस रहा था, और मेरे निप्पल्स सख्त हो गए थे। “ओह्ह… अनुपम… आआह्ह…” मेरे मुँह से आवाजें निकल रही थीं।
उसने मेरी पैंटी पूरी तरह उतार दी और अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी। “आआह्ह… उफ्फ…” मैं सिहर उठी। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थीं, और मैं पूरी तरह गीली थी। “कंचन, कितनी टाइट है तुम्हारी चूत,” उसने कहा। “आआह्ह… फास्ट करो… ओह्ह… फक मी…” मैं बेकाबू होकर चिल्ला रही थी। उसने मेरे दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया। उसका 10 इंच का लंड मेरी चूत के मुँह पर था, और मुझे डर के साथ-साथ जोश भी चढ़ रहा था। “अनुपम… धीरे… मैं डर रही हूँ,” मैंने कहा। उसने मेरी आँखों में देखा और बोला, “कंचन, मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूँगा।”
उसने धीरे से धक्का मारा, पर उसका लंड फिसल गया। “उफ्फ… अनुपम, ध्यान से!” मैंने कहा। उसने फिर कोशिश की, पर फिर फिसल गया। अब मुझे गुस्सा आने लगा। “मादरचोद, कुछ कर नहीं सकता! जा, गांड मरवा!” मैंने चिढ़कर कहा। मेरी बात सुनते ही उसका जोश दोगुना हो गया। उसने मेरी चूत पर थूक लगाया और अपना लंड फिर से सेट किया। इस बार उसने जोर से धक्का मारा, और उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआह्ह… मम्मी…!” मेरी चीख निकल गई। दर्द इतना था कि मेरी आँखों से आँसू निकल आए। “थप… थप…” की आवाजें गूँज रही थीं। उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा। “आआह्ह… अनुपम… धीरे… ओह्ह…” मैं सिसकार रही थी।
उसने धक्के मारने शुरू किए। “थप… थप… थप…” उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। दर्द अब धीरे-धीरे मजे में बदल रहा था। “आआह्ह… अनुपम… और जोर से… ओह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरे बूब्स पकड़ लिए और जोर-जोर से दबाने लगा। “कंचन, तुम्हारी चूत तो जन्नत है,” उसने कहा। मैं बेकाबू थी। “आआह्ह… फक मी… और जोर से… ओह्ह…” मेरी सिसकारियाँ छत पर गूँज रही थीं। वो मेरे ऊपर झुका हुआ था, उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था। “थप… थप… थप…” की आवाजें और तेज हो गई थीं।
अचानक मेरी चीख सुनकर शायद मम्मी की नींद खुल गई। छत की लाइट जली, और मैं डर के मारे उछल पड़ी। “अनुपम, छोड़ो! मम्मी!” मैंने कहा और जल्दी से अपनी पैंटी और जींस ऊपर खींची। अनुपम भी घबरा गया और अपनी जींस बंद करने लगा। मैं छत से भागकर बाथरूम में घुस गई। बाथरूम में देखा तो मेरी चूत से खून निकल रहा था। मैं डर गई, पर धीरे-धीरे सब ठीक हो गया। उस रात की चुदाई ने मुझे सेक्स का ऐसा चस्का लगाया कि अब मैं खुलकर चुदवाती हूँ। अनुपम का 10 इंच का लंड अब मेरी चूत में आसानी से जाता है, और हर बार मुझे जन्नत की सैर करवाता है।
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