मेरा नाम गुरलीन है। मैं यमुनानगर की रहने वाली हूँ और एक पंजाबन हूँ। मेरे लंबे, घने, काले बाल, भरा हुआ जिस्म, रसीले होंठ और नशीली आँखें किसी भी लड़के की पैंट में तंबू खड़ा कर देती हैं। मेरे 34 साइज़ के गोरे-चिट्टे बूब्स, जिनके गुलाबी निपल्स हर किसी का ध्यान खींचते हैं, और मेरी टाइट गोल गाँड लड़कों को पागल कर देती है। लड़के अपने लंड पकड़ लेते हैं और लड़कियाँ अपनी चूत में उंगली डालने लगती हैं। कुछ महीने पहले अपनी गाड़ी सिखाने वाले से चुदाई के बाद मेरे जिस्म की आग इतनी बढ़ गई थी कि अब उसे बुझाना मेरे लिए नामुमकिन सा हो गया था। उस चुदाई ने मेरे अंदर की औरत को जगा दिया था, और अब मेरा मन हर वक्त बस लंड की तलाश में रहता था।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस आग को कैसे शांत करूँ। दिन-रात बस सेक्स का ख्याल मेरे दिमाग में घूमता रहता। जो भी लड़का सामने से गुजरता, मेरी नजर सीधे उसकी पैंट की जिप पर चली जाती। मन करता था कि सड़क पर ही उसे पकड़कर चुदाई शुरू कर दूँ। लेकिन मैं एक पढ़ी-लिखी लड़की थी, और समाज की नजरों में अपनी इज्जत बनाए रखना भी जरूरी था। बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को कंट्रोल किया हुआ था। मेरा एडमिशन दिल्ली के एक नामी कॉलेज में हो गया था। यमुनानगर से रोज़ आना-जाना मुश्किल था, इसलिए मैं अपने चाचा के यहाँ रहने लगी और वीकेंड पर घर जाती थी।
मेरे चाचा, जिन्हें मैं चाचा जी कहती थी, एक हैंडसम, लगभग 40 साल के जाट थे। उनका नाम बॉबी था, और वो अपने रौबदार व्यक्तित्व और मजबूत कद-काठी की वजह से हर किसी का ध्यान खींचते थे। उनका डिवोर्स हो चुका था, और वो अपने बड़े से फ्लैट में अकेले रहते थे। जब मैं उनके घर पहुँची, तो चाचा जी ने मुझे गर्मजोशी से गले लगाया। मैंने उस दिन एक टाइट स्कर्ट और फिटिंग वाला टॉप पहना था, जो मेरे जिस्म की हर नस को उभार रहा था। जैसे ही चाचा ने मुझे गले लगाया, मुझे उनके शरीर की गर्मी महसूस हुई, और एक पल के लिए लगा जैसे उनकी पैंट में कुछ हलचल हुई। मैंने सोचा शायद ये मेरा वहम है, क्योंकि पहला दिन था, और मैं ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहती थी। लेकिन मेरे मन के किसी कोने में एक शरारती ख्याल जाग गया।
कॉलेज की पढ़ाई शुरू हो गई थी। चाचा जी सुबह ऑफिस चले जाते और शाम को लौटकर 2-3 पेग व्हिस्की के लगाकर सो जाते। लेकिन मेरे अंदर की सेक्स की भूख हर दिन बढ़ती जा रही थी। रात को बिस्तर पर लेटकर मैं अपनी चूत में उंगली करती, और चाचा के बारे में सोचते हुए अपनी आग शांत करने की कोशिश करती। लेकिन उंगली से अब वो मजा नहीं आता था। मुझे एक मोटा, गर्म लंड चाहिए था जो मेरी चूत की प्यास बुझा सके।
एक सुबह मैं उठी, तो चाचा जी ऑफिस जा चुके थे। मेरे कमरे के बाथरूम में पानी की समस्या थी, इसलिए मैं नहाने के लिए चाचा के कमरे में चली गई। उनके बाथरूम में जाकर मैंने अपनी स्कर्ट और टॉप उतार दिए। अब मैं सिर्फ अपनी काली ब्रा और पिंक पैंटी में थी। अचानक मेरी नजर बाथरूम के कोने में पड़े उनके अंडरवियर पर गई। वो गंदा सा पड़ा था, और मुझे नहीं पता क्या हुआ, लेकिन मेरे कदम अपने आप उसकी ओर बढ़ गए। मैंने उसे उठाया और सूँघने लगी। उसमें चाचा की मर्दाना खुशबू थी, जो मेरे जिस्म में आग लगा रही थी। मेरी चूत गीली होने लगी, और मैंने बिना सोचे अपनी पैंटी में हाथ डाला और उंगली करने लगी। “आआह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली।
मैंने अंडरवियर को और करीब से देखा। वो थोड़ा गीला और चिपचिपा था। मैंने उसे छुआ, और मेरे होश उड़ गए। ये चाचा का माल था। उन्होंने इसमें मूठ मारी थी। मेरी उंगलियों पर वो गीला माल लगा, और मैंने उसे चख लिया। इसका स्वाद इतना नशीला था कि मेरी चूत में आग और भड़क गई। मैंने उसी वक्त फैसला कर लिया कि मुझे चाचा से चुदवाना है, चाहे कुछ भी हो जाए।
अब मैंने चाचा को सिड्यूस करने की पूरी प्लानिंग शुरू कर दी। मैं जानबूझकर उनके सामने छोटे और ट्रांसपेरेंट कपड़े पहनने लगी। कभी टाइट शॉर्ट्स और सफेद कुर्ता, जिसमें मेरी काली ब्रा साफ दिखती, तो कभी जाँघों तक की नाइटी, जो मेरे कूल्हों को मुश्किल से ढकती थी। मुझे पता था कि मेरे इस रवैये से चाचा के लंड का बुरा हाल हो रहा है। जब भी मैं उनके बाथरूम में जाती, अपनी ब्रा और पैंटी वहाँ छोड़ देती, ताकि चाचा का ध्यान मेरी ओर और बढ़े। मैं चाहती थी कि वो मेरे जिस्म की गर्मी को महसूस करें।
एक दिन सुबह, जब चाचा ऑफिस चले गए, मैं उनके बाथरूम में अपनी ब्रा-पैंटी लेने गई। मैंने देखा कि मेरी ब्रा में उनका माल लगा हुआ था। मेरी चूत में फिर से सनसनी दौड़ गई। मैं समझ गई कि चाचा अब मेरे जाल में फँस चुके हैं। उस रात जब वो घर आए, मैंने अपनी सबसे छोटी नाइटी पहनी, जो मेरी जाँघों के ठीक नीचे खत्म होती थी। मेरे बूब्स उसमें से बाहर आने को बेताब थे। हमने साथ में खाना खाया, और मैं जाने लगी, तभी चाचा ने कहा, “गुरलीन, थोड़ी देर यहीं रुक जा। कुछ बातें करते हैं।”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, चाचा जी, जैसा आप कहो।” वो अपनी व्हिस्की की बोतल ले आए और दो पेग बनाए। मैंने हल्का सा विरोध किया, “मैं नहीं पीती, चाचा जी।” वो हँसे और बोले, “अरे, मुझसे शर्मा मत। मुझे पता है आजकल की लड़कियाँ क्या-क्या करती हैं।” उनकी बात सुनकर मैं शरमा गई, लेकिन फिर मुस्कुराकर ग्लास पकड़ लिया और उनके पास सोफे पर बैठ गई।
वो मेरे करीब आ गए और मेरे कंधे पर हाथ रखकर बातें करने लगे। उनके हाथ की गर्मी मेरे जिस्म में करंट दौड़ा रही थी। उन्होंने तीन पेग पी लिए थे, और अब वो हल्के सुरूर में थे। मैं अभी अपने पहले पेग पर ही थी, लेकिन मेरे दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं। वो अपनी एक्स-वाइफ की बातें करने लगे। बोले कि वो उसे कितना मिस करते हैं, और उनकी जिंदगी में अब कोई औरत नहीं है। मैंने उनकी लुंगी की ओर देखा, और वहाँ एक बड़ा सा उभार दिख रहा था। उनका लंड खड़ा हो चुका था।
अचानक उनका हाथ मेरे कंधे से सरककर मेरे बूब्स पर आ गया। मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनकी आँखों में देखा। वो बोले, “गुरलीन, तू बहुत सेक्सी और हॉट है। अगर तू मेरी भतीजी न होती, तो…” उनकी बात अधूरी थी, लेकिन उनकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी। मैंने शरारती अंदाज में पूछा, “तो क्या, चाचा जी?” यह सुनते ही उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी लुंगी के ऊपर से अपने लंड पर रख दिया। मैंने चौंकने का नाटक किया और कहा, “ये क्या है, चाचा जी?”
वो हँसे और बोले, “पगली, अब तक तुझे नहीं पता कि ये क्या है? मासूम मत बन। मुझे सब पता है कि तू मेरे बाथरूम में अपनी ब्रा-पैंटी क्यों छोड़ती थी।” उनकी बात सुनकर मेरे चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई। मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनकी ओर और करीब खिसक गई। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चुंबन इतना गर्म और भूखा था कि मेरी चूत में आग लग गई। वो मेरे होंठ चूस रहे थे, काट रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को खा रहा हो।
मैंने हल्के से कहा, “आह… चाचा जी, आराम से…” वो बोले, “आज आराम नहीं होगा, गुरलीन। बहुत दिनों बाद ऐसा कड़क माल मिला है। अब तक तो मैं सड़कछाप रंडियों से काम चला रहा था, लेकिन तू तो माल की मलाई है।” उनकी बातें सुनकर मेरी चूत और गीली हो गई। मैंने उनकी लुंगी खोल दी। उनका लंड बाहर आया। क्या मस्त, मोटा और लंबा लंड था! कम से कम 7 इंच का, और इतना मोटा कि मेरी उंगलियाँ मुश्किल से उसके चारों ओर बंद हो रही थीं। मैंने उसे हाथ में लिया और धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगी।
चाचा ने मेरी नाइटी उतार दी। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी, और मेरे 34 साइज़ के गोरे बूब्स उनके सामने आ गए। मेरे गुलाबी निपल्स सख्त हो चुके थे। चाचा की आँखें चमक उठीं। वो बोले, “क्या मस्त माल है तू, गुरलीन! तेरे ये बूब्स तो मैं खा जाऊँगा।” मैंने शरारती अंदाज में कहा, “तो खा लो, चाचा जी। चूस लो, जो करना है कर लो। मैं तो तुम्हारी ही हूँ।”
वो मेरे बूब्स पर टूट पड़े। पहले तो वो मेरे एक बूब को जोर-जोर से दबाने लगे, फिर अपने मुँह में लेकर चूसने लगे। “आआह… आहह…” मेरी सिसकारियाँ निकल रही थीं। वो मेरे निपल्स को अपनी जीभ से चाट रहे थे, हल्के से काट रहे थे। मैं पागल हुए जा रही थी। मैंने उनके सिर को अपने बूब्स पर जोर से दबाया और बोली, “आह… चाचा जी, और चूसो… मेरे बूब्स को खा जाओ!” वो मेरे दोनों बूब्स को बारी-बारी से चूस रहे थे, दबा रहे थे, और मेरे निपल्स को अपनी उंगलियों से मसल रहे थे। मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मेरी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी।
मैंने उन्हें अपने बूब्स से हटाया और घुटनों पर बैठ गई। उनका मोटा लंड मेरे मुँह के सामने था। मैंने उसका सुपाड़ा पीछे किया और उसकी गुलाबी टोपी को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। “आह… गुरलीन…” चाचा की सिसकारियाँ निकल रही थीं। मैंने उनके लंड की पूरी लंबाई पर अपनी जीभ फेरी, उसे अपनी थूक से गीला कर दिया। फिर मैंने उनका लंड अपने मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। “आआह… आहह… और जोर से, गुरलीन!” चाचा चिल्ला रहे थे। मैं उनके टट्टों को हल्के से दबा रही थी, और उनका लंड मेरे गले तक जा रहा था। मैंने अपने होंठों से उनके लंड को और टाइट कर लिया, और तेजी से चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद चाचा ने मेरे बाल पकड़े और अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला। वो बोले, “बस, अब और नहीं। तुझे तो बेड पर चोदूँगा।” उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गए। बेड पर मुझे पटकते हुए उन्होंने मेरी पिंक पैंटी उतारी और उसे सूँघकर एक तरफ फेंक दिया। फिर वो मेरी चूत पर टूट पड़े। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाट रही थी, मेरे दाने को सहला रही थी। “आआह… आहह… चाचा जी…” मैं सिसकार रही थी। मेरी टाँगें काँप रही थीं, और मैंने उनके सिर को अपनी चूत पर जोर से दबा लिया। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं पागल हुए जा रही थी। “आआह… और चाटो, चाचा जी… मेरी चूत को चाट डालो!” मैं चिल्ला रही थी।
कुछ ही मिनटों में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। “आआआह…” मेरी जोरदार सिसकारी के साथ मैं झड़ गई। चाचा ने मेरे सारे रस को एक प्यासे की तरह पी लिया। उन्होंने मेरी चूत को चाट-चाटकर साफ कर दिया। मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा और उनके होंठों को चूमने लगी। मेरे रस का स्वाद हमारी जीभों में घूम रहा था। मैंने कहा, “चाचा जी, अब और मत तड़पाओ। चोद दो मुझे।”
चाचा हँसे और बोले, “अब चाचा जी नहीं, गुरलीन। मुझे बॉबी कह। अब तू मेरी भतीजी नहीं, मेरी रंडी है।” मैंने शरारती अंदाज में कहा, “ठीक है, बॉबी। अब अपनी भतीजी को चोद बनाओ। मुझे चोद डालो।” उन्होंने मेरी टाँगें फैलाईं और अपना मोटा लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा। जैसे ही उन्होंने धक्का मारा, उनका लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआआह…” मेरी चीख निकल गई। बहुत दिनों बाद मैंने लंड लिया था, और उनकी मोटाई ने मेरी चूत को जैसे फाड़ दिया। मैंने कहा, “बॉबी, धीरे करो… दर्द हो रहा है।”
वो बोले, “धीरे नहीं होगा, मेरी रंडी। आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊँगा। इतनी मस्त चूत बहुत दिनों बाद मिली है।” उन्होंने मेरी एक न सुनी और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “थप… थप… थप…” उनकी जाँघें मेरी जाँघों से टकरा रही थीं, और मेरी चूत में उनका लंड अंदर-बाहर हो रहा था। “आआह… आहह… बॉबी…” मैं सिसकार रही थी। धीरे-धीरे दर्द मजा में बदल गया, और मैं भी अपनी कमर उठाकर उनका साथ देने लगी।
वो मेरी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखकर मुझे चोदने लगे। “आआह… बॉबी… और जोर से… चोद डालो अपनी भतीजी को!” मैं चिल्ला रही थी। वो बोले, “हरामजादी, तू तो मेरे लंड को तड़पा रही थी। अब रोज़ तुझे चोदूँगा।” मैंने कहा, “हाँ, बॉबी, मुझे रोज़ चाहिए तुम्हारा ये मोटा लंड। मेरी चूत को इसका आदी कर दो।” हम दोनों की गंदी बातें कमरे में गूँज रही थीं।
मैं दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन चाचा रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने मुझे पलटकर घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। “आआआह… आहह…” मेरी सिसकारियाँ पूरे घर में गूँज रही थीं। उनकी हर धक्के के साथ मेरा जिस्म हिल रहा था। “थप… थप… थप…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। चाचा मेरी गाँड पर थप्पड़ मार रहे थे और बोले, “क्या मस्त गाँड है तेरी, गुरलीन। इसे भी चोदूँगा किसी दिन।” मैंने कहा, “जो करना है कर लो, बॉबी। मैं तो तुम्हारी रंडी हूँ।”
थोड़ी देर बाद चाचा बोले, “गुरलीन, मैं झड़ने वाला हूँ।” मैंने कहा, “मेरे मुँह में झाड़ो, बॉबी। मुझे तुम्हारे माल का स्वाद चखना है।” मैं सीधी हुई, और चाचा मेरे मुँह के पास आए। उन्होंने अपना लंड हिलाया, और कुछ ही सेकंड में उनका गर्म, गाढ़ा माल मेरे मुँह में गिरने लगा। मैंने सारा माल पी लिया और उनके लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया।
हम दोनों बेड पर नंगे लेट गए। मैंने उन्हें गले लगाया और कहा, “अच्छा हुआ तुम्हारी वो रंडी बीवी चली गई, बॉबी। नहीं तो मुझे ये लंड का मजा कैसे मिलता?” वो हँसे और बोले, “हाँ, गुरलीन। उसे सेक्स में कोई इंटरेस्ट नहीं था। मुझे करने नहीं देती थी। अब तू मेरी बीवी है। रोज़ चुदाई करेंगे।” ये कहकर वो मुझे फिर से चूमने लगे। उस रात हमने दो बार और चुदाई की। मेरी चूत दर्द कर रही थी, लेकिन मजा इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी।
अगले दिन से हमारी जिंदगी बदल गई। हर रात चाचा मुझे चोदते, और मैं उनकी रंडी बनकर हर बार नया मजा लेती। कभी बाथरूम में, कभी किचन में, कभी सोफे पर। मेरी चूत को उनके लंड की आदत हो गई थी, और मुझे अब उनके बिना चैन नहीं पड़ता था।
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