Ganne ke Khet me Family Group Sex

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भोला अपनी मस्ती में चला जा रहा था तभी अपने खेत की खटिया पर बैठे हुए मतादीन काका ने उसे आवाज़ दी। आउटडोर इन्सेस्ट सेक्स

मतादीन- अरे भोला बेटवा कहाँ चले जा रहे हो, आजकल तो तुमने मेरे पास आना ही बंद कर दिया।

भोला- अरे काका, ठहरो अभी आ रहा हूँ।

दोपहर के 2 बज रहे थे भोला अपने गन्नों के खेतों की ओर चला जा रहा था लेकिन उसके खेत से थोड़ी पहले ही मतादीन काका का खेत आ जाता था जहाँ मतादीन काका ने बहुत सारी हरी सब्जियाँ लगा रखी थी और दिन रात वह उन सब्जियों की रखवाली के लिए वही पड़ा रहता था।

मतादीन काका के खेत से थोड़ा आगे ही भोला का गन्नों का खेत था वही भोला ने अपने सोने के लिए एक झोपड़ी बना रखी थी उसी झोपड़ी के भीतर उसने बोरिंग करवा रखी थी। मतादीन उस गाँव का सबसे चुड़क्कड़ आदमी था और ना जाने कितनी औरतों को चोद चुका था।

आज वह 45 साल का था लेकिन आज भी उसका लंड चोदने के लिए खड़ा ही रहता था, लेकिन मतादीन की एक बात यह भी थी कि वह गाँव में किसी से ज़्यादा बातचीत नहीं करता था पर ना जाने क्यों मतादीन को भोला से कुछ ज़्यादा ही लगाव था, भोला एक 24 साल का हट्टा-कट्टा जवान लड़का था और उसकी जिंदगी अपने खेतों से लेकर अपने घर तक ही रहती थी।

इसका कारण यह था कि भोला के बाप को मरे 8 साल हो चुके थे और भोला के घर में उसकी माँ झुनिया और उसकी दो बहनें रूपा और धनिया थी, रूपा भोला से करीब 4 साल छोटी लगभग 20 बरस की जवान लौंडिया हो चुकी थी लेकिन रूपा को देख कर यही कहेंगे कि उसका शरीर तो पूरा भर चुका था लेकिन उसमें अक्ल बच्चों जैसी ही थी इसलिए उसके घर के खास कर भोला उसे बहुत प्यार करता था।

धनिया करीब 26 साल की एक मस्त औरत की तरह नज़र आने लगी थी लेकिन अभी तक शादी नहीं हो पाई थी, भोला की माँ झunia 46 साल की बहुत ही सख्त औरत थी उसके सामने गाँव का कोई भी ज़्यादा बोलने की हिम्मत नहीं करता था लेकिन झunia को देख कर अच्छे-अच्छों के लंड खड़े हो जाया करते थे।

जब भोला मतादीन काका के पास जाकर बैठ जाता है तो मतादीन काका अपनी खाट के नीचे से चिलम निकाल कर पीते हुए कहा तो भोला आजकल का चल रहा है तुम तो कुछ दिनों से यहाँ फटकते भी नहीं हो, का दिन भर घर में घुसे रहते हो।

भोला- अरे नहीं काका घर में रुकने की फुर्सत कहाँ है, बस यह इतफाक है कि मैं इधर से जब भी गुज़रता हूँ तुम नज़र नहीं आते।

मतादीन- चलो कोई बात नहीं बेटवा, और फिर चिलम का गहरा कस खींच कर भोला को देते हुए, ले बेटा तू भी आज तो लगा ले।

भोला- अरे नहीं काका हम इसे पी लेते हैं तो फिर काम में मन नहीं लगता है।

मतादीन- मुस्कुराते हुए, पर बेटा इसको पी कर एक काम में बड़ा मन लगता है।

भोला- वो कौन से काम में।

मतादीन- मुस्कुराते हुए अरे वही चुदाई के काम में।

भोला- काका अब अपनी उम्र का भी लिहाज करो 45 साल के हो गए हो फिर भी मन नहीं भरा है।

मतादीन- अरे बेटवा इन चीज़ों से किसी का कभी मन भरा है भला, अब तुमको देखो इस उम्र में तुमको एक मस्त चूत मिल जाना चाहिए तो तुम्हारे चेहरे पर कुछ निखार आए पर तुम हो कि बस काम के बोझ के तले दबे जा रहे हो।

भोला- तो काका चोदने के लिए एक औरत भी तो होना चाहिए अब तुम ही बताओ हम किसे चोदें।

मतादीन- (मुस्कुराते हुए) तुम्हारे आस पास बहुत माल है बेटा ज़रा अपनी नज़रों से पहले उन माल को देखो तो सही तुम्हारा मन अपने आप उन्हें चोदने का होने लगेगा।

भोला- अच्छा काका तुम्हारी नज़र में ऐसी कौन सी औरत है जिसकी मैं चूत मार सकता हूँ।

मतादीन- (मुस्कुराते हुए) देखा भोला हम तुमको बहुत मस्त उपाय बता सकते हैं पर पहले तुमको हमारे साथ दो-चार चिलम मारना पड़ेगा तभी तुमको हमारी बात सुनने में मज़ा आएगा, अगर तुम्हारा मन हो तो शाम को आ जाना हम तुमको मस्त कर देंगे।

दोनों की बातें चल रही थी तभी मतादीन की बेटी जो खेतों में कुछ काम कर रही थी, मतादीन ने उसे आवाज़ देकर कहा-

मतादीन- अरे मालती बिटिया ज़रा गिलास में पानी तो भर कर ले आ बड़ी देर से गला सूख रहा है।

मालती जो कि मतादीन की 19 साल की लड़की थी वही एक छोटा सा घाघरा और सफेद शर्ट पहने उठ कर आई और पानी भर कर जैसे ही उसने कहा लो बाबा पानी। मतादीन ने जैसे ही उसके हाथ से गिलास लिया मालती एक दम से चीखते हुए अपनी चूत को घाघरे के ऊपर से पकड़ कर चिल्लाने लगी, मतादीन और भोला एक दम से खड़े हो गए।

मतादीन- अरी क्या हुआ क्यों चिल्ला रही है।

मालती- आह बाबा लगता है कुछ काट रहा है।

तभी मतादीन ने उसका घाघरा ऊपर करके नीचे बैठ कर देखने लगा उसके साथ ही भोला भी बैठ कर देखने लगा, मालती की बिना बालों वाली गोरी गट चिकनी चूत देख कर तो भोला के मुँह में पानी आ गया वह मतादीन अपनी बेटी की चूत को अपने मोटे-मोटे हाथों से खूब उसकी फाँकों को फैला-फैला कर देखने लगा।

मतादीन जैसे ही उसकी फाँकों को फैलाता भोला का मोटा लंड तन कर झटके मारने लगता, मतादीन उसकी चूत के पास से एक चींटी को पकड़ लेता है जो मसलने की वजह से मर चुका था उसके बाद अपनी बेटी को दिखाते हुए देख यह काट रहा था तुझे, अब जा आराम से काम कर मैं बाद में दवा लगा दूँगा।

मालती को जाते हुए मतादीन और भोला देख रहे थे जो कि अपनी मोटी कसी हुई गाँड मटका कर जा रही थी तभी भोला ने मतादीन की ओर देखा जो अपनी धोती के ऊपर से अपने मोटे लंड को मसलता हुआ काफी देर तक अपनी बेटी को जाते हुए देखता रहा।

फिर उसकी नज़र जब भोला पर पड़ी तो उसने मुस्कुराते हुए अपने लंड से हाथ हटाकर कहने लगा मादरचोद ने लंड खड़ा कर दिया, देख ले भोला जब यह चिलम कस कर पी लो ना तब आसपास बस चूत ही चूत नज़र आने लगती है।

भोला- पर काका तुम्हारा लंड तो अपनी बिटिया को देख कर ही खड़ा हो गया।

मतादीन- अरे भोला तूने उसकी चूत नहीं देखी कितनी चिकनी है और उसका गुलाबी छेद, मेरे मुँह में तो पानी आ गया और तू कहता है आपका लंड खड़ा हो गया, अरे चूत में का किसी का नाम लिखा होता है कि यह बेटी की है कि यह माँ की।

हम तो जब ऐसी गुलाबी और चिकनी चूत देख लेते हैं तो फिर बिना चोदे नहीं रह पाते हैं, अब देखो हमारे इस मूसल को जब तक यह कोई चूत पा ना जाएगा तब तक चैन से बैठेगा नहीं। आज शाम को तुम आओ फिर मैं तुम्हें ऐसी चिलम पिलाऊँगा कि तुम जिसको भी देखोगे उसे चोदने का मन करेगा समझे।

भोला का मोटा लंड पूरी तरह तन चुका था मालती की चूत का वह गुलाबी छेद उसे पागल कर गया था और वह भी अब चूत चोदने के लिए पागल हो उठा था, वह यह कह कर चल दिया कि वह शाम को उनके पास आएगा और फिर वह वहाँ से चल देता है।

आस पास गन्ने के खेत होने की वजह से मतादीन की खाट जहाँ लगी थी वहाँ से सिर्फ़ उसकी झोपड़ी ही नज़र आती थी बाकी सारे खेत खड़े होने पर ही नज़र आते थे, भोला चलते-चलते सोचने लगा, कहीं ऐसा तो नहीं कि मतादीन काका उसके आने के बाद उसकी बेटी के साथ कुछ कर रहा हो और यह सोचते ही भोला का लंड फिर से खड़ा होने लगा था।

वह चुपचाप दबे पाँव गन्ने के पीछे से छुपता हुआ वहाँ तक आ गया जहाँ से उसे मतादीन की खाट नज़र आने लगी थी, और उसने जब वहाँ देखा तो वह देखता ही रह गया, मतादीन काका खाट पर पैर फैलाए लेटा हुआ था और अपने हाथों में अपना मोटा लंड लेकर उसे मसल रहा था और उसकी नज़रें खेत में काम कर रही अपनी बेटी मालती की ओर थी।

मालती बार-बार झुक-झुक कर घास उठा-उठा कर इकट्ठा कर रही थी और मतादीन काका अपनी 19 साल की चिकनी लौंडिया की उठती जवानी देख-देख कर अपना काला मोटा लंड अपने हाथ से खूब मसल रहा था, उसके बाद मतादीन काका ने अपनी चिलम मुँह में लगाकर जब एक तगड़ा कस मारा तो मतादीन काका की आँखें एक दम लाल हो चुकी थी।

और फिर मतादीन काका बैठ कर अपने दोनों पैरों को फैलाकर अपने मोटे लंड को खूब हिलाते हुए अपनी बेटी मालती की मोटी गुदाज़ गाँड को देखने लगा, भोला गन्नों के बीच छुपा हुआ मतादीन काका को लंड मसलते हुए देख रहा था, वैसे मालती की मटकती गाँड और कसी जवानी ने उसका भी लंड खड़ा कर दिया था, तभी मतादीन काका ने मालती को आवाज़ दी, अरे बिटिया यहाँ आओ-

मालती दौड़ कर अपने बाबा के पास आ कर क्या है बाबा।

मतादीन- ज़रा दिखा तो बेटी चींटी जहाँ काटा था।

मालती- पर बाबा चींटा तो निकल गया ना।

मतादीन- अपने लंड को मसलते हुए, अरे बिटिया हमें दिखा तो कहीं सूजन तो नहीं आ गया।

मालती- अच्छा बाबा दिखाती हूँ।

और मालती ने अपने बाबा के सामने अपना घाघरा जैसे ही ऊँचा किया, मतादीन ने अपनी बेटी की नंगी गाँड पर पीछे से हाथ भर कर उसकी मोटी गाँड को दबोचते हुए जब अपनी बेटी की कुँवारी चूत पर हाथ फेरा तो जहाँ मतादीन का लंड झटके मारने लगा।

वही भोला का मोटा और काला लंड भी उसकी धोती से बाहर आ गया था भोला गन्ने के बीच चुपचाप बैठा था और उसकी धोती के साइड से उसका मोटा और काला लंड जो कि 9 इंच लंबा था बाहर निकल आया था और भोला अपने लंड को सहला कर उन दोनों को देख रहा था।

मतादीन- अपनी बेटी की चूत को अपनी मोटी-मोटी उंगलियों से सहलाते हुए, अरे बिटिया इसमें तो बहुत सूजन आ गई है।

मालती- अपना सर झुका कर अपनी चूत को देखने की कोशिश करती हुई, हाँ बाबा मुझे भी सूजन लग रही है।

मतादीन- अच्छा मैं खाट पर लेट जाता हूँ तू मेरी छाती पर अपने चूतड़ रख कर मुझे ज़रा पास से अपनी चूत दिखा, देखूँ तो सही सूजन ही है या दर्द भी है।

मालती- बाबा दर्द तो नहीं लग रहा है बस थोड़ी खुजली हो रही है।

मतादीन- बेटी खुजली के बाद दर्द भी होगा इसलिए पहले ही देखना पड़ेगा कि कहीं चींटे का ज़हर तो नहीं चला गया इसके अंदर।

मालती अपने बाबा की छाती के दोनों ओर पैर कर लेती है और मतादीन अपने घुटनों को मोड़ कर अपनी बेटी के सर को तकिए जैसे सहारा देकर उसकी दोनों मोटी जाँघों को खूब फैला कर उसकी चूत को बिल्कुल करीब से अपने मुँह के पास लाकर देखने लगता है।

भोला मालती की गुलाबी रसीली चूत देख कर पागल हो जाता है, मतादीन अपनी बिटिया की गुलाबी चूत की फाँकों को अपनी मोटी-मोटी उंगलियों से अलग करके उसकी चूत के छेद में अपनी एक मोटी उंगली पेल देता है और मालती आह बाबा बहुत दर्द हो रहा है।

मतादीन- मैं ना कहता था दर्द होगा पर तू सुन कहाँ रही थी अब इसका ज़हर जो अंदर घुस गया है उसको बिना चूसे नहीं निकाला जा सकता है, तू अपनी चूत को थोड़ा और फैला कर मेरे मुँह में रख मुझे इसका सारा ज़हर अभी चूस-चूस के निकालना पड़ेगा।

मालती अपने बाबा की बात सुन कर अपनी गुलाबी चूत को उठा कर अपने बाबा के मुँह के पास लाती है और मतादीन अपनी बेटी की गुलाबी कुँवारी चूत को सूँघ कर मस्त हो जाता है उसका लंड पूरी तरह तना रहता है अपनी बेटी की कच्ची गुलाबी चूत देख कर उसकी आँखें लाल सुर्ख हो जाती हैं।

और वह अपनी लपलपाती जीभ अपनी बेटी की चूत में रख कर उसकी गुलाबी चूत को पागलों की तरह चूसने लगता है और मालती अपने बाबा के सीने पर अपनी गाँड इधर उधर मटकते हुए आह बाबा आह बाबा बहुत गुदगुदी हो रही है।

मतादीन- बेटी तू बिल्कुल चुपचाप ऐसे ही बैठी रहना मैं 10 मिनट में सारा ज़हर चूस-चूस कर निकाल दूँगा।

फिर मतादीन अपनी बेटी की रसीली बुर को खूब ज़ोर-ज़ोर से फैला-फैला कर चूसने लगता है, मालती की कुँवारी बुर अपने बाबा के मुँह में पानी छोड़ने लगती है, मतादीन खूब ज़ोर-ज़ोर से अपनी बेटी की चूत चूस-चूस कर लाल करने लगता है, कुछ देर बाद-

मालती- हे बाबा मैं मर जाऊँगी आह आह ओह बाबा बहुत अच्छा लग रहा है बाबा आह आह बाबा छोड़ दो बाबा मुझे पेशाब लगी है, ओह आ आ।

मालती- (बाबा का मुँह पकड़ कर हटाती हुई) बाबा छोड़ दो मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगी है।

मतादीन- बेटी यह तुझे पेशाब नहीं लगी है उस ज़हर के निकलने के कारण तुझे ऐसा लग रहा है जैसे तेरा मूत निकलने वाला है अब अगर ऐसा लगे कि तुझे खूब ज़ोर से पेशाब लगी है तो तू ज़ोर लगा कर यही मेरे मुँह पर कर देना।

मालती- (हाँफते हुए) पर बाबा आपके मुँह पर मैं कैसे मूतूँगी।

मतादीन- पगली मैं कह तो रहा हूँ तुझे मूत नहीं आएगा बस तेरे ज़हर निकलने के कारण ऐसा लगेगा कि तुझे पेशाब आ रही है तब अपनी आँखें बंद करके मेरे मुँह में ही कर देना बाकी सब मैं संभाल लूँगा।

मालती- (मस्ती से भरपूर लाल चेहरा किए हुए थोड़ा मुस्कुरा कर) बाबा अच्छा तो बहुत लग रहा है पर मैं तुम्हारे मुँह में पेशाब कर दूँगी तो बाद में मुझे डाँटना मत।

मतादीन- अरे मेरी प्यारी बिटिया मैं भला तुझे क्यों डाँटूँगा चल अब अपनी चूत अपने दोनों हाथों से फैला कर मेरे मुँह में रख दे मैं बचा हुआ ज़हर भी चूस लूँ।

उसका इतना कहना था कि मालती ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत की फाँकों को खूब फैलाकर अपनी रस से भीगी गुलाबी चूत को अपने बाबा के मुँह पर रख दिया और मतादीन पागलों की तरह अपनी बेटी की गुलाबी चूत को खूब दबोच-दबोच कर चूसने लगा।

मतादीन अपनी बेटी की चूत चूसे जा रहा था और मालती ओह ओह आह बाबा मैं मर जाऊँगी आह आह करने लगती है मतादीन जब अपनी जीभ को उसकी गुदा से चाटता हुआ उसकी चूत के उठे हुए दाने तक लाता है तो मालती बुरी तरह अपनी पूरी चूत खोल कर अपने बाबा के मुँह में रगड़ने लगती है।

मतादीन लपलप अपनी बेटी की रसीली बुर को खूब ज़ोर-ज़ोर से पीने लगता है और मालती आह आह करती हुई ओह बाबा ओह बाबा मैं गई मैं आपके मुँह में मूत दूँगी बाबा आह आह और फिर मालती एक दम से अपने पापा के मुँह में अपनी चूत का सारा वजन रख कर बैठ जाती है और गहरी-गहरी साँसें लेने लगती है।

कुछ देर तक मतादीन और उसकी बेटी साँसें लेती रहती हैं और उधर भोला अपने लंड को मुठिया-मुठिया कर लाल कर लेता है, कुछ देर बाद मालती अपने बाबा से मुस्कुरा कर बाबा ज़हर निकल गया कि और भी चाटोगे मेरी चूत को।

मतादीन- देख बेटी ज़हर तो निकल गया है पर तेरे अंदर जो दर्द है उसे मिटाना पड़ेगा नहीं तो यह बाद में बहुत तकलीफ़ देगा।

मालती- अपने हाथ से अपनी चूत को मसलती हुई, पर बाबा अब तो दर्द नहीं हो रहा है।

मतादीन- बेटी दर्द ऐसे मालूम नहीं पड़ेगा देख मैं बताता हूँ कि तेरे अंदर दर्द भरा है या नहीं।

और फिर मतादीन अपनी बेटी की चूत को खोल कर उसके अंदर अपनी बीच की सबसे मोटी उंगली डाल कर जैसे ही कच से दबाता है मालती के पूरे बदन में एक दर्द की लहर दौड़ जाती है और वह अपनी चूत को कसते हुए आह बाबा बड़ा दर्द है अंदर तो।

मतादीन- अपनी उंगली निकाल कर चाटता हुआ, तभी ना कह रहा हूँ बेटी इसके अंदर का दर्द अच्छे से साफ करना पड़ेगा और उसके लिए इसके अंदर कुछ डालना पड़ेगा।

मालती- (अपने बाबा को देखती हुई) क्या डालोगे बाबा।

मतादीन- बेटी इसमें कुछ डंडे जैसा डालना पड़ेगा तभी इसका दर्द ख़तम होता है।

मालती- बाबा गन्ने जैसा डंडा डालना पड़ेगा क्या।

मतादीन- मुस्कुराता हुआ, बेटी गन्ने जैसा ही लेकिन चिकना होना चाहिए नहीं तो तुझे खरोंच आ जाएगी।

मालती- तो फिर क्या डालोगे बाबा।

मतादीन- जा पहले झोपड़ी में से तेल की कटोरी उठा कर ला फिर बताता हूँ क्या डालना पड़ेगा।

मालती तेल लेने के लिए झोपड़ी में जाती है और मतादीन अपनी चिलम जला कर एक तगड़ा कस खींचता है और उसकी आँखें पूरी लाल हो जाती हैं, मालती अंदर से तेल की कटोरी उठा लाती है और मतादीन अपने दोनों पैर खाट से नीचे लटका कर बैठ जाता है।

मतादीन- (अपनी बेटी को अपनी जाँघ पर बैठा कर) बेटी मेरे पास जो डंडा है उसे डालने पर बहुत जल्दी तेरा दर्द ख़तम हो जाएगा।

मालती- तो बाबा दिखाओ ना आपका डंडा कहाँ है।

मतादीन ने अपनी बेटी की तरफ अपनी लाल आँखों से देखा और फिर अपनी धोती हटाकर अपना मोटा काला लंड जैसे ही अपनी बेटी को दिखाया, अपने बाबा का विकराल लंड देख कर मालती के चेहरे का रंग उड़ गया, तभी मतादीन ने मालती की चूत को सहलाना शुरू कर दिया और मालती के हाथों में अपना लंड थमा दिया।

मतादीन- बेटी ऐसे क्या देख रही है पहले कभी किसी का डंडा नहीं देखा क्या।

मालती- अपना थूक गटकते हुए, बाबा देखा तो है पर यह तो बहुत मोटा और लंबा है।

मतादीन- बेटी इस डंडे को जितना ज़ोर से हो सके दबा तभी यह तेरी चूत के अंदर घुस कर तेरा सारा दर्द ख़तम कर देगा।

मालती अपने बाबा का लंड सहलाने लगती है और मतादीन अपनी बेटी की कुँवारी गुलाबी चूत को सहलाने लगता है मालती की चूत में खूब चुदास पैदा हो जाती है और वह अब अपने मनमाने तरीके से अपने बाबा का लंड कभी मसलने लगती।

कभी उसकी चमड़ी को ऊपर नीचे करके उसके टोपे को अंदर बाहर करती और कभी अपने बाबा के बड़े-बड़े गोटों को खूब अपने हथेलियों में भर कर सहलाने लगती, इधर मालती को इतना मज़ा आ रहा था कि उसे पता भी नहीं चला कब उसके बाबा ने अपनी उंगली थूक में भिगो-भिगो कर उसकी चूत में गहराई तक भरना शुरू कर दिया था।

मतादीन- बेटी कभी गन्ना चूसा है कि नहीं।

मालती- हाँ बाबा खूब चूसा है।

मतादीन- बेटी अपने बाबा का डंडा चूस कर देख गन्ना चूसने से भी ज़्यादा मज़ा आता है।

मालती- हँसते हुए क्या इसको भी चूसा जाता है।

मतादीन- एक बार चूस कर देख फिर बता कैसा लगता है।

मालती अपने बाबा की बात सुन कर उसके मोटे लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगती है उसके मुँह में अपने बाबा का मोटा लंड मुश्किल से समा रहा था वह पहले धीरे-धीरे अपने बाबा का लंड चूसती है और फिर जब उसे बहुत अच्छा लगने लगता है।

तब वह हाँ बाबा आपका डंडा तो बहुत अच्छा लग रहा है और फिर मालती उसे खूब कस-कस कर चूसने लगती है। जब मालती चूस-चूस कर थक जाती है तब मतादीन उसे तेल की कटोरी दे कर ले बेटी इसमें से तेल लेकर मेरे लंड पर अच्छे से लगा दे अब यह तेरी चूत के अंदर जाकर उसका सारा दर्द दूर करेगा।

मालती अपनी मस्ती में आ चुकी थी और अपने बाबा के मोटे लंड पर खूब रगड़-रगड़ कर तेल लगाने लगती है, जब मतादीन का लंड तेल से पूरा गीला हो जाता है तब मतादीन अपनी बेटी को खाट पर लेटा कर उसकी दोनों जाँघों को उठा लेता है और अपने लंड को अपनी बेटी की गुलाबी चूत में लगा कर अपने लंड के टोपे को उसकी चूत के गुलाबी रस से भीगे हुए छेद में फिट करके।

मतादीन- देख बेटी अब यह जब अंदर घुसेगा तो थोड़ा ज़्यादा दर्द होगा और फिर तुझे एक दम से धीरे-धीरे आराम होने लगेगा, इसलिए ज़्यादा आवाज़ मत करना।

मालती- आप फिकर ना करो बाबा मैं सब सह लूँगी।

मालती के मुँह से यह बात सुनते ही मतादीन ने एक तबीयत से ऐसा झटका मारा कि अपनी बेटी की कुँवारी चूत को फाड़ता हुआ सीधा उसका मोटा लंड आधे से ज़्यादा उसकी चूत में फस गया और मालती के मुँह से हाय मर गई रे बाबा की ज़ोर से आवाज़ निकल पड़ी।

मतादीन ने जल्दी से उसका मुँह दबा कर एक दूसरा झटका इतनी ज़ोर से मारा कि उसका पूरा लंड जड़ तक उसकी बेटी की चूत को फाड़ कर पूरा अंदर समा गया और मालती आह करके चीखती है और उसकी आँखों से आँसू आ जाते हैं उसकी चूत से खून की धार लग जाती है और वह अपनी टाँगें इधर उधर फेंकने लगती है।

तभी मतादीन उसकी गाँड के नीचे एक हाथ डाल कर उसे उठा कर अपने सीने से चिपका लेता है और धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाते हुए मालती के दूध को दबा-दबा कर उसकी चूत में झटके मारने लगता है।

मालती- आह छोड़ दे बाबा बहुत दुख रहा है आह आह ओ बाबा।

मतादीन- बेटी अपने बाबा से खूब कस कर चिपक जा अब बिल्कुल दर्द नहीं होगा अब देखना तुझे कितना मज़ा आएगा।

मालती अपने बाबा से पूरी तरह चिपक जाती है और मतादीन अब कुछ तेज-तेज अपनी बेटी की चूत में अपने लंड से धक्के मारने लगता है, मतादीन का लंड अब मालती की चूत में कुछ चिकनाहट के साथ जाने लगता है पर उसके लंड को उसकी बेटी की चूत ने बहुत बुरी तरह जकड़ रखा था।

इसलिए मतादीन को अपनी बिटिया रानी को चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था उसने मालती की दोनों मोटी जाँघों को थाम कर अब सटसट अपने लंड से पेलाई शुरू कर दी और मालती आह आह ओ बाबा आह अब ठीक है आह आह ओ बाबा बहुत अच्छा लग रहा है और तेज मारो बाबा तुम बहुत अच्छा मार रहे हो थोड़ा तेज मारो बाबा।

मतादीन अपनी बेटी की बात सुन कर उसे खूब हुमच-हुमच कर चोदने लगता है, अब मतादीन खड़ा होकर अपनी बेटी को अपने लंड के ऊपर टाँगें हुए उसे अपने खड़े लंड पर ऊपर नीचे करते हुए उसकी चूत मारने लग जाता है, मालती पूरे आनंद में अपने बाबा से बंदरिया की तरह चिपकी हुई अपनी चूत में अपनी औकात से बड़ा और मोटा लंड फसाए हुए मस्त झूला झूल रही थी।

करीब आधा घंटे तक मतादीन अपनी बेटी को अपने लंड पर बैठाए रहता है, मतादीन अपनी बेटी के छोटे-छोटे दूध को भी पकड़ कर मसलता है तब मालती उससे खूब कस कर चिपक जाती है और उसका पानी निकल जाता है, मतादीन अपने लंड पर उसे बिठाए हुए खाट पर बैठ जाता है।

और मालती अपने बाबा के लंड पर आराम से अपनी चूत को फसाए हुए बैठी रहती है, मतादीन अपनी चिलम निकाल कर एक बार जला कर फिर से एक तगड़ा कस खींचता है और फिर मालती के मोटे-मोटे चूतड़ों को सहलाते हुए उसे अपने लंड पर लेकर फिर से खड़ा होकर खूब हुमच-हुमच कर चोदने लगता है।

करीब 10 मिनट बाद मतादीन अपनी बेटी को खाट पर लेटा देता है और फिर उसके ऊपर लेट कर तबाड़ तोड़ तरीके से अपनी बेटी की चूत मारने लग जाता है और फिर कुछ तगड़े धक्के ऐसे मारता है कि मालती का पानी अपने बाबा के लंड के पानी के साथ ही छूट जाता है और दोनों एक दूसरे से पूरी तरह चिपक जाते हैं।

कुछ देर बाद मतादीन उठ कर पानी पीता है और थोड़ी देर बाद मालती जब उठती है तो आह बाबा दर्द तो अभी भी लग रहा है।

मतादीन- (अपनी बेटी के गालों को चूमते हुए) बिटिया ज़हरीला चींटा था उसका ज़हर तो निकल गया पर इस दर्द को पूरी तरह मिटाने के लिए मेरे डंडे से तुझे रोज़ ऐसे ही अपना दर्द मिटवाना पड़ेगा तब ही कुछ दिनों बाद बिल्कुल दर्द मिट जाएगा।

मालती- (अपने बाबा के मोटे लंड को अपने हाथों में भर कर दबाते हुए) बाबा तुम्हारा डंडा बहुत मस्त है मुझे तो बड़ा मज़ा आया है, अब तो मैं खुद ही इस डंडे से अपना दर्द रोज़ मिटवाऊँगी।

मतादीन- (अपनी बेटी की बात सुन कर खुश होता हुआ) हाँ बेटी ठीक है पर एक बात ध्यान रखना यह बात किसी को नहीं बताना अपनी माँ को भी नहीं समझी, नहीं तो तेरी शादी नहीं हो पाएगी।

मालती- नहीं बाबा मैं किसी को नहीं बताऊँगी।

हारिया- अच्छा अब जा जाकर झोपड़ी में थोड़ा आराम कर ले।

भोला वहाँ से दबे पाँव उठ कर अपने खेतों की ओर चल देता है और उसका लंड उसे पागल किए जा रहा था उसके मन में भी चोदने की एक बहुत ही बड़ी इच्छा ने जन्म ले लिया था और वह यह सोच रहा था कि इस मतादीन काका की चिलम में कितना दम है अपनी बेटी को कितनी देर तक कितनी मज़बूती से चोदता रहा, कितना मज़ा आया होगा उसे अपनी बेटी को चोदने में, बस यही सोचता हुआ भोला अपने खेतों की ओर चल देता है।

खेत पर पहुँचने के बाद भोला अपनी खाट बाहर निकाल कर गन्नों के बीच एक चोकोर जगह पर खाट डाल कर लेट जाता है पर उसकी आँखों में तो बस मालती की गुलाबी चूत ही नज़र आ रही थी, थोड़ी देर लेटे रहने के बाद भोला को कुछ दूरी पर रूपा आती हुई नज़र आ रही थी।

रूपा 20 साल की हो चुकी थी और उसका शरीर वक़्त से पहले ही इतना भर चुका था कि उसे अगर अपने चूतड़ हिलाकर चलते हुए कोई भी देखे तो उसका लंड खड़ा हो जाए, और वह भोली इतनी थी जैसे कोई बच्ची हो, रूपा जैसे ही भोला के पास आती है।

भोला उसे देख कर सोचने लगता है उसकी बहन रूपा तो मालती से भी गोरी और भरे बदन की है रूपा की चूत कितनी बड़ी और गुलाबी होगी अगर रूपा की चूत मुझे उसी तरह चाटने और चोदने को मिल जाए जैसे मतादीन ने अपनी बेटी की चूत चाट-चाट कर चोदी थी तो वाकई मज़ा आ जाएगा, पर इसके लिए उसे मतादीन काका की चिलम पीना पड़ेगी तभी वह अपनी प्यारी बहन को तबीयत से चोद पाएगा।

रूपा- अरे भैया आम खाओगे खूब पके हैं पास के पेड़ से गिरे थे तो मैं उठा लाई।

भोला- (रूपा के मोटे-मोटे पके आमों जैसी चूचियों को घूर कर देखते हुए) अरे रूपा आम खाते थोड़े हैं आम को तो चूसा जाता है।

रूपा- (अपने भैया से सट कर बैठते हुए) तो भैया चूसो ना।

और रूपा उसकी और एक पका हुआ आम बढ़ा देती है, रूपा ने एक स्कर्ट और ऊपर एक सफेद रंग की शर्ट पहन रखी थी शर्ट के अंदर ब्रा नहीं थी और उसके बटनों के बीच की गैप से रूपा के मोटे-मोटे चूचे ऐसे कसे हुए नज़र आ रहे थे कि आम की साइज़ भी उसके तने हुए मस्त ठोस चूचियों से छोटे नज़र आ रही थी।

वही उसकी पुरानी सी स्कर्ट उसके घुटनों के भी ऊपर तक थी जिसकी वजह से उसकी भरी हुई गोरी पिंडलियाँ और मोटी-मोटी गदराई जाँघें बहुत मादक नज़र आ रही थी, भोला का लंड अपनी बहना को देख कर अपनी धोती में पूरा तन चुका था। भोला ने रूपा का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास खींचते हुए।

भोला- क्यों री माँ क्या कर रही है घर में।

रूपा- अभी जब मैं आई तो नहा रही थी।

भोला- वही घर के आँगन में नहा रही थी क्या।

रूपा- हाँ और दीदी भी उनके साथ नहा रही थी।

भोला- दीदी ने क्या घाघरा चोली पहना था।

रूपा- नहीं पेटीकोट पहन कर माँ से अपनी टाँगें रगड़वा रही थी।

भोला- अरे दीदी से कह दे कभी भोला से भी टाँगें रगड़वा ले मैं बहुत अच्छी टाँगें रगड़ता हूँ।

रूपा- इठलाते हुए हटो भैया मुझे आम चूसने दो।

भोला- आ मेरी गोद में बैठ कर आराम से मैं तुझे चूसता हूँ।

रूपा झट से भोला की गोद में जैसे ही बैठने जाती है भोला अपना हाथ उसकी स्कर्ट में भर कर उसके भारी-भारी चूतड़ों से ऊपर उठा देता है और फिर उसके नंगे चूतड़ों को अपनी जाँघ पर रख कर उसे प्यार से सहलाता हुआ हल्के से उसकी तनी हुई चूचियों पर अपने हाथ रख कर उसे देखने लगता है।

रूपा आम को दबा-दबा कर उसका रस चूस रही थी और भोला रूपा के रसीले होंठों को देख रहा था, भोला उसका गाल चूमते हुए उसकी चूचियों को थोड़ा सा अपने हाथों में भर कर अपने भैया को नहीं चूसाएगी।

रूपा अपने भैया की ओर देखती हुई उसके मुँह की ओर आम कर देती है तब भोला आम को एक दम से हटा कर रूपा के रसीले गुलाबी होंठों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगता है और उसका हाथ अचानक ही रूपा की मोटी-मोटी चूचियों को शर्ट के ऊपर से खूब ज़ोर से मसलने लगता है।

रूपा- आह भैया यह क्या कर रहे हो मुझे दर्द हो रहा है, छोड़ो ना।

भोला उसका मुँह छोड़ कर उसके गाल को चूमता हुआ, भोला से रहा नहीं जा रहा था उसका लंड पूरी तरह तन चुका था लेकिन वह जानता था कि रूपा इतनी भोली है कि बहुत सोच समझ कर उसे चोदना होगा, रूपा आम खाने के बाद खड़ी होकर एक अंगड़ाई लेती है और भैया कोई मोटा सा गन्ना दो ना मुझे चूसने के लिए।

भोला- (उसकी बात सुन कर अपने लंड को मसलते हुए) रानी बहना गन्ना तो बहुत मोटा है पर क्या तू इतना मोटा गन्ना चूस लेगी।

रूपा वही गन्ने के बीच अपने भारी-भारी चूतड़ों को मटकाते हुए टहलने लगती है और अपनी बहन की कातिल कुँवारी जवानी देख कर भोला का मोटा लंड पागल होने लगता है, भोला अपनी बहन की एक छोटी सी स्कर्ट में मटकती मोटी गाँड देख कर उसके पीछे पीछे बिल्कुल उससे सटते हुए चलने लगा।

उसने रूपा के मोटे चूतड़ों को थामते हुए उससे पूछा ये इधर उधर क्या देख रही है रूपा, तब रूपा ने कहा वह तो कोई अच्छा सा गन्ना चाहती है जिसमें खूब रस भरा हो, आज उसका एक मोटा सा गन्ना चूसने का मन है, भोला का मोटा लंड पूरी तरह तन चुका था।

आज वह अपनी बहन रूपा को चोदने के लिए पागल हुआ जा रहा था, एक तो मतादीन काका ने जिस तरह से अपनी 19 साल की चिकनी लौंडिया को चोदा था बस उस नज़ारे को याद करके भोला का लंड और भी झटके मार रहा था।

भोला- (अपनी बहन की मोटी गाँड की दरार में अपनी एक उंगली हल्के से दबा कर) मेरी बहना तू इधर उधर क्या देख रही है जब कि एक मस्त गन्ना तो मेरे पास है अगर तू मेरा गन्ना चूसना चाहती हो तो बोल।

रूपा- आप का गन्ना अच्छा लंबा और मोटा है।

भोला- एक बार जब तू अपने इन गुलाबी होंठों से उसे चूसेगी तो तुझे ऐसा मज़ा मिलेगा कि तू फिर रोज़ मुझसे कहेगी कि भैया अपना गन्ना अपनी बहन को चूसा दो ना।

रूपा- तो भैया चुसाओ ना अपना गन्ना।

भोला- अच्छा तो चल मेरे साथ लेकिन वहाँ खेत का कुछ चारा दोनों मिल कर काट लेते हैं।

और फिर भोला रूपा को लेकर खेत में चारा काटने लगते हैं भोला जानबूझ कर अपनी धोती के साइड से अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लेता है रूपा उसके सामने बैठी-बैठी चारा काटती रहती है तभी अचानक रूपा की नज़र भोला के मोटे काले लंड पर पड़ जाती है और रूपा, का चेहरा एक दम से लाल होने लगता है।

रूपा अपना थूक गटकते हुए बार-बार उसके मोटे लंड को देखती जा रही थी, और भोला तिरछी नज़रों से उसकी प्रतिक्रिया देख रहा था, भोला बड़ा चतुर था जैसे-जैसे रूपा उसके लंड को देख रही थी भोला रूपा की चूत की कल्पना करके अपने लंड को और खड़ा कर रहा था। भोला का लंड जैसे-जैसे बढ़ने लगा रूपा की साँसें तेज होने लगी थी, अब रूपा का यह हाल था कि वह एक टक भोला के लंड को देखे जा रही थी, यही मौका था कि भोला ने रूपा को आवाज़ देकर-

भोला- रूपा क्या देख रही है।

भोला की आवाज़ सुन कर रूपा एक दम से घबरा गई और कुछ नहीं भैया करने लगी। भोला ने अपने लंड की ओर देखा और फिर रूपा को देखते हुए, तू मेरे लंड को देख रही है।

रूपा- नहीं भैया मैं कहाँ देख रही हूँ।

भोला- सच-सच बता दे तू मेरे लंड को देख रही थी ना, अगर सच नहीं बताएगी तो मैं माँ से तेरी शिकायत करूँगा।

रूपा- वो भैया ग़लती से नज़र चली गई।

भोला- उसके पास सरक कर अब तूने मेरा देखा है तो अपना भी दिखा नहीं तो मैं माँ से बता दूँगा कि तू मेरा लंड देख रही थी।

रूपा- नहीं भैया माँ से ना कहना नहीं तो वह मारेगी।

भोला- तो फिर चल अपनी स्कर्ट हटा कर मुझे भी अपनी चूत दिखा।

और फिर भोला ने उसे उसके चूतड़ों के बल वही बैठा दिया और झट से उसकी स्कर्ट पकड़ कर ऊपर कर दी, अपनी बहन की फूली हुई गुलाबी फाँकों वाली चूत देख कर भोला का लंड लोहे जैसा तन गया।

भोला- (थोड़ा अपने चेहरे पर गुस्से के भाव लाता हुआ) थोड़ा अपनी जाँघों को और फैला।

रूपा ने भोला की बात सुन कर अपनी जाँघों को और चौड़ा कर लिया और उसकी चूत का गुलाबी लपलपता छेद देख कर भोला का लंड झटके मारने लगा, भोला ने धीरे से अपने हाथ को रूपा की रसीली फूली हुई चूत पर फेरते हुए।

भोला- रूपा तेरी चूत तो बहुत फूली हुई है।

रूपा भोला के खड़े विकराल लंड को बड़ी हसरत भरी निगाहों से देख रही थी और भोला अपनी बहन की चूत की फाँकों को अपने हाथों से फैला-फैला कर देख रहा था, रूपा की चूत में बहुत मस्ती चढ़ने लगी थी और उसे अपने भैया के हाथों से धीरे-धीरे अपनी चूत कुरेदवाना बहुत अच्छा लग रहा था।

तभी भोला ने अपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर देखते हुए, अरे रूपा मेरा लंड तो तेरी चूत को देख कर बहुत गर्म हो रहा है ज़रा पकड़ कर देख और फिर भोला ने रूपा का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, रूपा डरते हुए धीरे-धीरे भोला के लंड को सहलाने लगी।

और भोला ने रूपा की फूली हुई चूत को दुलारना शुरू कर दिया, कुछ देर तक भोला अपनी बहन से अपने लंड को सहलवाता रहा फिर भोला ने उससे कहा चल खाट पर आराम से बैठ कर बातें करते हैं और उसका हाथ पकड़ कर खाट पर लाकर बैठा देता है, भोला उससे चिपक कर लेट जाता है।

भोला- रूपा तुझे अच्छा लग रहा है।

रूपा- हाँ भैया।

भोला- तेरी चूत सहलाऊँ।

रूपा- उसकी बात का कोई जवाब नहीं देती है और भोला उसकी चूत को धीरे-धीरे सहलाने लगता है और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर जैसे ही रखता है रूपा कस कर अपने भैया का मोटा लंड अपने हाथों में पकड़ लेती है।

भोला- (रूपा के होंठों को चूमता हुआ) अच्छा यह बता रूपा अभी तू जब घर से आई थी तब माँ और दीदी दोनों पूरी नंगी होकर नहा रही थी क्या।

रूपा- नहीं भैया दोनों ने पेटीकोट पहन रखा था।

भोला- अच्छा तो माँ और दीदी के दूध तो पूरे नंगे रहे होंगे ना।

रूपा- हाँ भैया दोनों के दूध पूरे नंगे थे।

भोला- अच्छा माँ के दूध ज़्यादा बड़े हैं कि दीदी के।

रूपा- बड़े तो दोनों के हैं पर माँ के कुछ ज़्यादा मोटे-मोटे हैं।

भोला- अच्छा क्या तेरे दूध भी माँ और दीदी के दूध के बराबर हैं।

रूपा- अपने दूध को देख कर नहीं भैया मेरे तो छोटे हैं।

भोला- अपनी ललचाई नज़रों से रूपा की कसी हुई चूचियों को देख कर, पर मुझे तो तेरे दूध माँ और दीदी से भी बड़े नज़र आ रहे हैं।

रूपा- नहीं भैया छोटे हैं चाहो तो खोल कर देख लो।

भोला- अच्छा दिखा।

और फिर भोला रूपा के शर्ट के बटनों को जल्दी-जल्दी खोल देता है और जब वह अपनी बहन के मोटे-मोटे बिल्कुल ठोस कसे हुए दूध को अपने हाथों में भर कर कस कर मसलता है तो उसे मज़ा आ जाता है और रूपा एक मीठे से दर्द के मारे सिहर जाती है।

तभी अचानक उन्हें गन्ने की सरसराहट की आवाज़ आती है तो दोनों अलग हो जाते हैं और रूपा उठ कर खड़ी होकर देखने लगती है तभी सामने से मतादीन काका चला आ रहा था, रूपा मटकती हुई झोपड़ी की ओर चल देती है और भोला खड़ा होकर, अरे आओ मतादीन काका।

मतादीन- और बेटा क्या हो रहा है, अरे बैठा-बैठा बोर हो रहा था सोचा चलो भोला के पास ही चल कर बैठेंगे।

भोला- अच्छा किया काका जो आ गए और बताओ आज चिलम नहीं लगाए हो का।

मतादीन- अरे बेटा चिलम लगाए होते तो अब तक तो हमारा हथियार लूँगी में ही खड़ा होता।

भोला- (मुस्कुराते हुए) तो काका अगर चिलम लगा लो तो हथियार ज़्यादा खड़ा होता है का।

मतादीन- बेटा ये तो हम नहीं जानते पर हाँ इतना ज़रूर है कि जब हम चिलम लगा लेते हैं तो हमें चोदने का बड़ा मन करने लगता है।

भोला- अभी लिए हो का काका।

मतादीन- का चिलम।

भोला- हाँ।

मतादीन- अरे वो तो हम हमेशा साथ लेकर ही चलते हैं, पर लगता है आज तुम्हारा मन भी इसे पीने का कर रहा है।

भोला- हाँ काका आज हमें भी पिला दो।

मतादीन- ठीक है बेटवा अभी पिला देते हैं।

और फिर मतादीन काका चिलम तैयार करके भोला को देता है और भोला कस मारना शुरू कर देता है, दोनों चिलम पी कर मस्त हो जाते हैं और फिर तभी उधर से रूपा पानी लेकर आती है जब वह पानी पिला कर जाने लगती है।

तो उसके मटकते मोटे-मोटे चूतड़ों को अपनी लाल आँखों से घूरते हुए मतादीन कहता है भोला बेटा अब तुम्हारी बहना भी बड़ी लौंडिया नज़र आने लगी है, तुम तो बेकार ही यहाँ वहाँ परेशान हो रहे हो ज़रा आस पास नज़र डालो तो तुम्हें बड़ी मस्त-मस्त लौंडियाँ मिल जाएँ चोदने के लिए।

भोला- (अपनी बहन की गदराई जवानी को देख कर मतादीन को देखता हुआ) पर काका हम किसे चोदें।

मतादीन- अरे तुम्हारी यह रूपा है ना बड़ी मस्त लौंडिया लग रही है, मेरा कहा मानो तुम दिन भर इसे लेकर यही गन्नों के बीच रहते हो, बड़ा अच्छा मौका है तुम्हारे पास यही लौंडिया को खूब कस-कस कर पेलो, तुम्हारे तो मज़े हो जाएँगे।

भोला- पर काका वो तो हमारी बहन है।

मतादीन- अरे तुम बहन की बात करते हो हमने तो अपनी 19 साल की लौंडिया की मस्त पेलाई की है।

भोला- क्या बात कर रहे हो काका।

मतादीन- (अपने लंड को मसलते हुए) अरे हम सच कह रहे हैं और ऐसी कुँवारी लौंडिया की गुलाबी चूत में जब अपना लंड पेलते हैं ना तो बड़ा मज़ा आता है, जब तुम अपनी रूपा की गुलाबी चूत देखोगे ना तो उसकी चूत को चूसे बिना नहीं रह पाओगे।

मतादीन- और फिर तुम्हारे घर में तो बहुत माल है, तुम्हारी बड़ी बहन भी मस्त चोदने लायक हो गई है राजा मौका अच्छा है दोनों लौंडियाँ अभी कुँवारी हैं किसी भी तरह दोनों लौंडियों को चोद डाल।

भोला- काका तुम्हें अपनी बेटी मालती को चोदने में बहुत मज़ा आया था।

मतादीन- अब क्या बताऊँ भोला बहुत चिकनी और गुलाबी चूत है उसकी जब उसकी जाँघें फैला कर उसकी रस से भरी फूली चूत देखता हूँ तो पागल हो जाता हूँ जी भर कर अपनी लौंडिया की चूत चूसता हूँ और फिर खूब कस-कस कर उसकी चूत को अपने मोटे लंड से चोदता हूँ, सच में उसकी कसी चूत में इतना कसा-कसा जाता है मेरा लंड कि क्या बताऊँ।

भोला- मालती भी खूब कसके लिपटती होगी आप से।

मतादीन- अरे उसे तो हमने अपनी गोद में उठा कर उसे अपने लंड पर बैठा लिया था और वह हमारी छाती से चिपकी हुई अपने चूतड़ हमारे लंड की ओर धकेल रही थी।

भोला- पर काका हम रूपा को चोदने के लिए कहें कैसे।

मतादीन- अरे रूपा को प्यार से अपनी गोद में बैठा ले और फिर उसकी दोनों चूचियों को धीरे-धीरे सहलाते हुए कभी उसके गालों को चूम कभी उसके होंठों को चूम ले और बीच-बीच में उसकी मोटी कसी हुई छातियों को कस कर दबा दे और फिर उससे पूछ कैसा लग रहा है रूपा और फिर जहाँ तू उसे थोड़ा गर्म कर देगा वह खुद ही अपनी चूत तेरे सामने खोलने लगेगी, चल बेटवा अब हम चलते हैं हमारी लौंडिया हमारा इंतज़ार कर रही होगी।

और फिर मतादीन वहाँ से चला जाता है उसके जाने के बाद भोला वहाँ से खड़ा होकर रूपा के पास जाकर खड़ा हो जाता है।

भोला- (रूपा का हाथ पकड़ कर सहलाते हुए) तू यहाँ क्यों खड़ी है चल वहाँ बैठेंगे।

और फिर रूपा का हाथ पकड़ कर खाट के पास ले जाता है और उसे अपनी गोद में बैठा लेता है।

भोला- (उसके गालों को चूमता हुआ) मेरी गुड़िया रानी इतनी गर्मी में तू यह शर्ट अपने सीने पर कैसे कसे रहती है मुझे देख मैं केवल अपनी धोती पहने कैसे खुला हवा लेता हूँ ला तेरी यह शर्ट के बटनों को खोल देता हूँ कुछ हवा लग जाए।

और फिर भोला ने रूपा के बटनों को खोलने शुरू किए।

रूपा- (कसमसाते हुए) भैया कहाँ गर्मी लग रही है।

भोला- अरे इन्हें हवा लगाना बहुत ज़रूरी है तूने देखा नहीं माँ और दीदी कैसे खोल कर नहा रही थी तू तो पागल है मेरी गुड़िया कुछ भी नहीं समझती इनकी तो मालिश भी करना पड़ती है नहीं तो इनमें दर्द रहता है।

और फिर भोला उसकी शर्ट के बटनों को खोलने के बाद उसके मोटे पके हुए बड़े-बड़े कलमी आमों की तरह तने हुए चूचों को अपने हाथों में भर कर जब कस कर मसलता है तो रूपा कराह उठती है।

रूपा- आह भैया बड़ा दर्द हो रहा है।

भोला- मैं ना कहता था इनमें दर्द रहेगा, इसी लिए तो कह रहा हूँ इनको हवा लगने दो और मैं इनकी आज अच्छे से मालिश कर देता हूँ तो तेरा दर्द बिल्कुल ख़तम हो जाएगा।

भोला- तू एक काम कर मेरी तरफ मुँह करके अपने पैर मेरे आस पास करके आराम से बैठ जा मैं तेरी अच्छे से मालिश कर देता हूँ।

रूपा अपने भैया की गोद में जैसे ही बैठती है उसकी गाँड में अपने भैया का मोटा लंड चुभने लगता है पर वह एक दम से बैठ जाती है और भोला उसके भारी चूतड़ों को पकड़ कर अपनी और दबा लेता है, अब भोला अपने हाथों से अपनी बहन के मोटे-मोटे दूध को कस-कस कर मसलने लगता है।

और रूपा आह आह करती हुई अपने भैया से चिपकने की कोशिश करने लगती है, भोला रूपा के रसीले होंठों को चूमता हुआ उसके दूध पागलों की तरह मसलने लगता है और रूपा उसकी बाँहों में तड़पने लगती है।

रूपा- आह भैया धीरे दबाओ ना तुम तो दर्द मिटाने की बजाय दर्द दे रहे हो।

भोला- (रूपा के होंठों को चूम कर) मेरी गुड़िया रानी आज मैं तुझे बहुत मीठा-मीठा दर्द दूँगा।

रूपा- उसकी गोद से अपनी गाँड उठाते हुए अपने हाथों से भोला का मोटा लंड उसकी धोती से बाहर निकाल कर, भैया ये मुझे चुभ रहा है।

भोला- मेरी बहना यह तेरे भैया का गन्ना है इसे चूसा भी जाता है।

रूपा- (मुस्कुरा कर) इसे कैसे चूसा जाता होगा भैया।

भोला- अरे तू नहीं जानती सब औरतें सभी आदमियों का गन्ना बड़े प्यार से चाट-चाट कर चूसती हैं, ले तू भी इसे अपनी जीभ से चूस कर देख।

रूपा- नहीं भैया मैं नहीं चूसूँगी मुझे अच्छा नहीं लगता है।

भोला- मेरी प्यारी बहना एक बार चूस कर देख फिर मैं तेरे लिए सुंदर सी पायल ला कर दूँगा।

रूपा- खुश होते हुए सच कह रहे हो।

भोला- (धीरे से उसकी फूली हुई चूत पर अपना हाथ रख कर) मेरी रानी अब चूस भी ले।

और फिर भोला अपने लंड को रूपा के मुँह में दे कर उसकी चूत के गुलाबी रस से भरे हुए छेद में धीरे से एक उंगली डाल कर अपनी बहन की कुँवारी चूत को सहलाने लगता है, रूपा को अपने भाई के लंड को चाटने और चूसने में मज़ा आने लगता है।

और वह अपने भाई के लंड को अपने हाथों में भर कर खूब दबोच-दबोच कर चूसने लगती है। भोला से रहा नहीं जाता है और वह खटिया में लेट कर रूपा की मोटी गाँड को पकड़ कर अपने मुँह की ओर खींच लेता है और उसे अपनी छाती में चढ़ा कर उसके चूतड़ों और चूत की फाँकों को खूब ज़ोर से फैला कर अपनी बहन की रसीली चूत को खूब ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगता है।

वही रूपा अपने भाई के पेट पर लेटते हुए उसके मोटे लंड को फिर से अपने मुँह में भर लेती है। भोला अपनी बहन रूपा की कच्ची कुँवारी चूत और गाँड को अपने मुँह से चाटने लगता है और उसकी चूत के रस को पीने लगता है।

रूपा- हे भैया ये क्या कर रहे हो बहुत अच्छा लग रहा है सी आह सी ओह माँ मैं मर गई।

कुछ देर तक भोला अपनी बहन की चूत को चाटते हुए पूरी लाल कर देता है उसकी चूत में बहुत मीठी-मीठी उठती चुदास पैदा हो रही थी।

आपको यह कहानी कैसी लगी? अपने विचार कमेंट में ज़रूर बताएँ।

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