Puja Aunty ki Birthday par chudai

Puja Aunty ki Birthday par chudai

मेरा नाम गौरव है। मैं हरियाणा के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 18 साल है, हाइट 5 फीट 9 इंच, और मैं दिखने में ठीक-ठाक, स्मार्ट सा लड़का हूँ। मेरा लंड 6.5 इंच लंबा और 3.8 इंच मोटा है, जो मुझे हमेशा गर्व महसूस करवाता है। ये कहानी मेरी और मेरी सेक्सी पूजा आंटी की है। पूजा आंटी हमारे पड़ोस में रहती हैं और हमारे परिवार की बहुत करीबी हैं। उनकी उम्र 42 साल है, लेकिन वो इतनी हॉट और गोरी हैं कि कोई भी उन्हें देखकर पागल हो जाए। उनके बूब्स बड़े और टाइट हैं, और उनकी गांड इतनी भारी और चौड़ी है कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उनका फिगर 38-32-40 है। उनके पति एक सरकारी नौकरी में हैं और अक्सर बाहर रहते हैं। उनके दो बच्चे हैं, जो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं।

एक दिन की बात है, मेरी माँ ने बताया कि पूजा आंटी ने मुझे उनके घर बुलाया है क्योंकि उन्हें मार्केट जाना था। मैं बिना देर किए उनकी बाइक पर निकल पड़ा। जब मैं उनके घर पहुँचा, तो आंटी ने एक टाइट सलवार सूट पहना था। उनके बूब्स और गांड सूट में इतने कसे हुए थे कि मेरा लंड पैंट में ही तन गया। मैं उनकी छातियों को चोरी-छिपे देख रहा था, और शायद उन्होंने ये देख लिया, लेकिन कुछ बोलीं नहीं। फिर मैं उन्हें अपनी बाइक पर बिठाकर मार्केट ले गया। रास्ते में उनके बूब्स मेरी पीठ से बार-बार टकरा रहे थे, और मेरा लंड और सख्त होता गया। मार्केट में उन्होंने कुछ सामान खरीदा, और हम वापस उनके घर आ गए।

घर पहुँचते ही मैंने आंटी से मजाक में कहा, “आंटी, आप स्कूटी क्यों नहीं सीख लेतीं? इतना डरती क्यों हैं?” वो हँसकर बोलीं, “गौरव, मुझे डर लगता है, स्कूटी चलाना आसान नहीं है।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, मैं आपको सिखा दूँगा।” वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन फिर मान गईं। उनके घर का लॉन बहुत बड़ा था, तो मैंने उनकी पुरानी स्कूटी निकाली और कहा, “आओ, शुरू करते हैं।” आंटी स्कूटी पर बैठ गईं, और मैं उनके ठीक पीछे चिपककर बैठ गया। मेरा सीना उनकी पीठ से सटा हुआ था, और मेरा लंड उनकी गांड को छू रहा था। मैंने कहा, “चलो, स्टार्ट करो।” उन्होंने स्कूटी स्टार्ट की, लेकिन डर के मारे बोलीं, “गौरव, मुझे सचमुच डर लग रहा है।”

मैंने कहा, “टेंशन मत लो, आंटी। मैं पीछे से हैंडल पकड़ लेता हूँ।” मैं और करीब चिपक गया। जैसे ही वो स्कूटी चला रही थीं, उन्होंने अचानक ब्रेक लगाया, और उनका सिर आगे की ओर झुका। मैंने उन्हें संभालने के बहाने उनके बूब्स को जोर से दबा दिया। उनके मुँह से एक हल्की सी चीख निकली, “आह्ह…” वो थोड़ा शरमाईं, लेकिन कुछ बोलीं नहीं। फिर वो बोलीं, “गौरव, तू मुझे पीछे से अच्छे से पकड़ ले।” मैंने मौके का फायद उठाया और उनके और करीब हो गया।

वो फिर से स्कूटी चलाने लगीं, और एक बार फिर ब्रेक लगा दिया। इस बार मैंने जानबूझकर अपने दोनों हाथ उनके बूब्स पर रखे और जोर से दबाए। वो “आह्ह… ओह्ह…” की सिसकारियाँ लेने लगीं। मैंने देखा कि वो कुछ बोल नहीं रही थीं, बस थोड़ा असहज हो रही थीं। मैंने कहा, “आंटी, कोशिश तो करो, स्कूटी चलाना आसान है।” हम ऐसे ही स्कूटी चलाते रहे, और हर बार ब्रेक लगने पर मैं उनके बूब्स दबा देता। मेरा लंड उनकी गांड से बार-बार टकरा रहा था, और मैं जानबूझकर उसे उनकी गांड में रगड़ रहा था। वो कुछ नहीं बोल रही थीं, बस नॉर्मल बिहेव कर रही थीं, लेकिन उनकी साँसें तेज हो रही थीं।

मैंने उनके बूब्स को और जोर से दबाया, और वो “आह्ह… ओह्ह…” करने लगीं। फिर मैंने उनके गले पर एक हल्का सा किस किया और उनके कान में फुसफुसाया, “आंटी, मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो।” वो हैरान होकर बोलीं, “गौरव, तुझे मुझमें क्या अच्छा लगा? मेरी तो उम्र 42 की हो गई है।” मैंने उनके बूब्स को और जोर से दबाया, और वो “आह्ह… ऊई माँ…” चीख पड़ीं। मैंने कहा, “आंटी, तुम्हारे बूब्स और तुम्हारी गांड मुझे बहुत सेक्सी लगती है। तुम पूरी तरह माल हो।” वो थोड़ा शरमाईं और बोलीं, “चल, अंदर चलते हैं।”

हम दोनों उनके बेडरूम में गए, और आंटी ने दरवाजा लॉक कर दिया। कमरे में घुसते ही मैंने उन्हें जोर से पकड़ लिया और उनके होंठों पर किस करना शुरू कर दिया। हम 20 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। उनकी साँसें तेज थीं, और वो मेरे सीने पर हाथ फेर रही थीं। मैंने उनकी सलवार और कमीज़ उतार दी। वो पिंक ब्रा और पैंटी में थीं, और क्या मस्त लग रही थीं! मैंने उनकी ब्रा उतारी और उनके बूब्स को चूसना शुरू किया। मेरे एक हाथ उनकी चूत पर था, और वो “आह्ह… ओह्ह… आहम्म…” की सिसकारियाँ ले रही थीं।

मैं उनके पेट पर किस करता हुआ नीचे उनकी चूत तक पहुँचा। उनकी चूत पिंक थी, और उस पर हल्के-हल्के बाल थे। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया, और वो पागलों की तरह सिसकारियाँ लेने लगीं, “आह्ह… ओह्ह… गौरव, क्या कर रहा है…” मैंने और जोर से उनकी चूत चाटी। फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए। आंटी ने मेरा लंड देखा और बोलीं, “ये तो तेरे अंकल के सुंडी जैसे लंड से कहीं बड़ा है। उनका तो खड़ा भी नहीं होता।” वो मेरे लंड को चूसने लगीं। उनका मुँह मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रहा था, और मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता।

फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैं उनकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थीं। वो तड़प रही थीं और बोलीं, “गौरव, अब और मत तड़पाओ। अपना लंड मेरी चूत में डाल दे।” मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड का टोपा उनकी चूत में मुश्किल से गया, और वो चिल्लाईं, “आह्ह… मेरी चूत फट गई!” मैंने उन्हें किस किया ताकि वो शांत हो जाएँ। फिर एक और धक्का मारा, और आधा लंड अंदर चला गया। वो “आह्ह… ऊई माँ…” चिल्ला रही थीं। मैंने उनके बूब्स चूसते हुए एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया।

मैंने धक्के मारना शुरू किया। कमरे में “पच-पच” की आवाज़ गूँज रही थी। आंटी अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं। वो बोलीं, “गौरव, और ज़ोर से चोद… मेरी चूत को फाड़ दे…” पाँच मिनट बाद वो झड़ गईं, और उनकी चूत का गर्म माल मेरे लंड पर बहने लगा। मैंने और जोर-जोर से धक्के मारे। वो दो बार और झड़ चुकी थीं। 15 मिनट बाद मैंने कहा, “आंटी, मेरा माल छूटने वाला है।” उन्होंने कहा, “अंदर ही छोड़ दे, गौरव।” मैंने स्पीड बढ़ा दी और तेज़-तेज़ चोदने लगा। वो “आह्ह… ओह्ह… और ज़ोर से… फाड़ दे मेरी चूत…” चिल्ला रही थीं।

आखिरकार, मैंने अपना सारा माल उनकी चूत में छोड़ दिया। उनकी चूत मेरे माल से भर गई। मैं उनके ऊपर ही लेट गया। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला, और उनकी चूत से माल की बूँदें टपक रही थीं। इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया, और वो उसे चूसने लगीं। पाँच मिनट बाद मेरा लंड और सख्त हो गया।

मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और उनकी बड़ी, गोरी गांड को खोला। उनकी गांड का छेद गुलाबी-भूरा और बहुत टाइट था। मैंने उसे चाटना शुरू किया, और वो “आह्ह… ओह्ह…” करने लगीं। मैंने उनकी गांड में उंगली डाली, तो वो बोलीं, “गौरव, प्लीज़, मेरी गांड मत मार। मैंने कभी गांड नहीं मरवाई। बहुत दर्द होगा।” मैंने कहा, “आंटी, थोड़ा दर्द तो बर्दाश्त करो, मज़ा आएगा।” मैंने ढेर सारा तेल लिया, उनकी गांड और अपने लंड पर लगाया। उनकी गांड अब चमक रही थी।

मैंने अपना लंड उनकी गांड के छेद पर रखा और एक धक्का मारा। मेरा टोपा अंदर गया, और वो चिल्लाईं, “आह्ह… मर गई… निकालो इसे!” मैंने और जोर लगाया, और आधा लंड अंदर चला गया। वो चिल्लाती रहीं, लेकिन मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी गांड में समा गया। जब वो थोड़ा नॉर्मल हुईं, तो मैंने धक्के मारना शुरू किया। वो अब मज़े लेने लगीं और अपनी गांड को पीछे-आगे करने लगीं। वो चिल्ला रही थीं, “आह्ह… और ज़ोर से… मेरी गांड फाड़ दे, गौरव…”

मैंने 20 मिनट तक उनकी गांड मारी और फिर अपना माल उनकी गांड में छोड़ दिया। फिर मैंने दो बार और उनकी चूत और गांड मारी। मेरे लंड में सूजन आ गई थी, और उनकी गांड भी सूजकर लाल हो गई थी। आंटी बोलीं, “गौरव, ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया। तू तो असली मर्द है।” हमने एक-दूसरे को किस किया, मैंने कपड़े पहने, और अपने घर चला गया। इसके बाद हम हर हफ्ते एक दिन चुदाई करते। उनकी गांड अब और भी बड़ी और मस्त हो गई है।

पिछली बार मैंने बताया था कि कैसे मैंने पूजा आंटी को स्कूटी सिखाने के बहाने उनकी चुदाई की। अब ये बात उनके बर्थडे की है। उनके पति विदेश गए हुए थे, और वो घर पर अकेली थीं। मैंने रात 12 बजे उन्हें फोन करके विश किया। उन्होंने थैंक्स कहा और बोलीं, “गौरव, अकेली क्या बर्थडे मनाऊँ? तुम्हारे अंकल तो विदेश गए हैं।” मैंने कहा, “आंटी, मैं हूँ ना। कल शाम को मैं केक लेकर आऊँगा, और हम खूब मज़े करेंगे।” वो हँसकर बोलीं, “ठीक है, गौरव।” और फोन पर एक किस देकर फोन रख दिया।

अगले दिन शाम को मैं एक चॉकलेट केक लेकर उनके घर गया। जब मैंने बेल बजाई, तो आंटी ने दरवाजा खोला। उन्होंने टाइट येलो सूट और हरी पजामी पहनी थी। उनकी गांड इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा लंड पैंट में ही खड़ा हो गया। मैंने उन्हें गले लगाकर विश किया और उनके गालों पर किस किया। हम अंदर गए, और मैं सोफे पर बैठ गया। मैंने आंटी को अपनी गोद में खींच लिया और उनके होंठों को चूसने लगा। वो भी पूरी ताकत से मेरा साथ दे रही थीं। मेरा लंड पैंट में गर्म रॉड बन चुका था।

मैंने उनके कपड़े उतारने शुरू किए। वो बोलीं, “गौरव, केक नहीं काटना?” मैंने कहा, “आंटी, मैं तुम्हें नंगी करके केक कटवाऊँगा।” मैंने उनका सूट उतार दिया। वो पिंक ब्रा में थीं। फिर उनकी पजामी भी उतार दी। अब वो सिर्फ पिंक ब्रा और पैंटी में थीं। आंटी ने मेरे कपड़े भी उतार दिए। मेरा 6.5 इंच का लंड देखकर वो बोलीं, “ये तो बहुत जल्दी खड़ा हो गया।” मैंने कहा, “आंटी, ये तो आपका इंतज़ार कर रहा था।”

मैंने उनकी ब्रा उतारी और उनके बूब्स चूसने लगा। वो “आह्ह… ओह्ह… आहम्म…” करने लगीं। मैं उनके पेट पर किस करता हुआ उनकी जाँघों तक पहुँचा। वो तड़पने लगीं और बोलीं, “गौरव, मार डालोगे क्या?” मैंने उनकी पैंटी फाड़ दी और उनकी चूत पर किस करने लगा। वो “आह्ह… ओह्ह… ऊई माँ…” चिल्ला रही थीं। फिर वो मेरा लंड चूसने लगीं। उनका मुँह मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रहा था, और मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता।

मैंने कहा, “चलो, आंटी, केक काटते हैं।” मैंने चॉकलेट केक टेबल पर रखा और उस पर मोमबत्ती जलाई। आंटी बोलीं, “चाकू कहाँ है?” मैंने अपना लंड उनके हाथ में दे दिया और कहा, “ये लो चाकू।” वो हँस पड़ीं और बोलीं, “इतने बड़े चाकू से कैसे काटूँ?” फिर हमने मिलकर मेरा लंड पकड़ा, उसका लाल टोपा निकाला, और केक पर रखकर काट दिया। मैंने अपने लंड पर केक लगाया और आंटी को खिलाया। वो उसे चाटने लगीं। फिर आंटी ने अपने बूब्स पर केक लगाया और मुझे खाने को कहा। मैं उनके बूब्स चाटने लगा, और वो “आह्ह… ओह्ह…” करने लगीं।

मैंने उनकी चूत पर केक लगाया और अपना लंड उनकी चूत पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उनकी चूत में समा गया। मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा, और वो “आह्ह… और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” चिल्ला रही थीं। कमरे में “पच-पच” की आवाज़ गूँज रही थी। आंटी दो बार झड़ चुकी थीं, और उनकी चूत से गर्म माल बह रहा था। 15 मिनट बाद मेरा माल छूटने वाला था। मैंने कहा, “आंटी, मेरा छूटने वाला है।” उन्होंने कहा, “मेरे मुँह में छोड़ दे।” मैंने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया, और वो उसे चूसने लगीं। पाँच मिनट बाद मैंने उनके मुँह में अपना माल छोड़ दिया, और वो उसे पी गईं।

फिर हम दोनों लेट गए। इसके बाद हमने साथ में नहाया। आंटी नंगी ही किचन में डिनर बनाने लगीं। मैं भी नंगा ही किचन में गया। उनकी गोरी, बड़ी गांड देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा। मैंने तेल लिया और उनकी गांड की मालिश की। आंटी ने मेरे लंड पर भी तेल लगाया। मैंने अपना लंड उनकी गांड पर रखा और एक धक्का मारा। आधा लंड अंदर गया, और वो “आह्ह… ऊई माँ… मर गई…” चिल्लाने लगीं।

मैंने और जोर से धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी गांड में समा गया। मैं जोर-जोर से उनकी गांड चोदने लगा। वो “आह्ह… और ज़ोर से… मेरी गांड फाड़ दे…” चिल्ला रही थीं। मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारना शुरू किया, और उनकी गांड लाल हो गई। फिर मैंने उन्हें किचन की स्लैब पर बिठाया, उनकी एक टांग उठाई, और उनकी गांड में लंड डालकर चोदने लगा। 20 मिनट बाद मैंने उनकी गांड में अपना माल छोड़ दिया। लंड निकालते ही उनकी गांड से माल टपक रहा था।

फिर हमने खाना खाया और पूरी रात चुदाई की। उस रात मैंने उनकी चूत 5 बार और गांड 3 बार मारी। सुबह 4 बजे तक हम चुदाई करते रहे। सुबह आंटी ने मुझे किस करके उठाया। हमने फिर साथ में नहाया, और वहाँ भी मैंने उनकी चुदाई की। फिर मैं अपने घर चला गया। आंटी की चूत और गांड का बुरा हाल हो गया था, और वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं।

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